Saturday, August 10, 2013

भारतीय किसान यूनियन की भोपाल महापंचायत , 7 अगस्त 2013

7 अगस्त 2013 को  मध्य प्रदेश के हजारों किसान अपनी जायज़ मांगों को लेकर भोपाल में इकट्ठा हुए. किसानों की रैली शाहजनी पार्क से चलकर  नीलम पार्क तक आई और यहाँ पर भारतीय किसान यूनियन की एक महापंचायत दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक चली. मध्य प्रदेश के तमाम जिलों से आये किसानों का नेतृत्व जगह-जगह के यूनियन के अध्यक्ष एवं सचिव कर रहे थे. सूबे के अध्यक्ष जगदीश सिंह के आवाहन पर किसान सरकार से अपनी मांगों के सन्दर्भ में बात करने आये थे.

भोपाल में किसान महापंचायत 

प्रमुख मांगें क़र्ज़ माफ़ी, किसानों की आत्महत्याएं, भूमि अधिग्रहण एवं विस्थापन, तथा बिजली एवं सिंचाई की व्यवस्थाओं से सम्बंधित थीं. पाँच साल पहले वर्तमान सरकार ने 50,000 हज़ार तक का किसानों का ऋण माफ़ करने का ऐलान किया था. लेकिन किया कुछ नहीं। पूरब में सिंगरौली के तमाम निजी तापीय बिजली घरों व अनूपपुर  में मोजर बेयर के बिजली कारखाने से लेकर इंदौर के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र व दिल्ली-मुंबई कारीडोर तक तमाम जिलों में विभिन्न कारणों से किसानों की ज़मीन जबरदस्ती ली जा रही है तथा सरकार और निजी क्षेत्र की गतिविधियों में अंतर करना मुश्किल हो गया है, जोर-जबरदस्ती सारी  हदें पार कर गया है.  त्रस्त किसानों में आत्महत्याओं की दर बहुत ज्यादा है तथा तमाम किसान नेताओं ने किसानों से आत्म हत्याएं न कर के संघर्ष में शामिल होने का आवाहन किया। 

जगदीश सिंह - म. प्र. भा.कि.यू. अध्यक्ष 

इस महापंचायत के प्रमुख अतिथि थे राष्ट्रीय महासचिव राजपाल शर्मा। शर्माजी ने 1 बजे ऐलान कर के कहा कि प्रशासन 2.30  बजे तक पंचायत में हाज़िर होकर किसानों की बात सुने और मांगों पर अपना जवाब दे. सरकार ने समय से एक SDM को भेजा, जिसने सरकार के सामने किसानों की मांगें रखने  के लिए मांगपत्र स्वीकार किया। 
महापंचायत को संबोधित करते राजपाल शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव 

मध्य प्रदेश के किसान यूनियन के नेताओं के अलावा उत्तर प्रदेश के यूनियन अध्यक्ष दीवानचंद चौधरी, विद्या  आश्रम,वाराणसी के सुनील सहस्रबुद्धे तथा लोकविद्या जन आन्दोलन की राष्ट्रीय संयोजक चित्रा जी ने महापंचायत को संबोधित किया। इंदौर के लोकविद्या समन्वय समूह से संजीव दाजी, मगन सिंह और मनोज भी पंचायत में भाग लेने आये थे. यह बात किसान यूनियन में शुरू हो गयी है कि किसान समाज एक ज्ञानी समाज है, किसान की ताकत उसका ज्ञान है जिसे लोकविद्या कहा जा रहा है और यह कि इसी ताकत के बल पर किसानों को अपने लिए खुशहाल ज़िन्दगी के अवसर तैयार करने हैं, सरकार को मजबूर करना है कि किसानों की विद्या के मूल्य के रूप में हर किसान परिवार की आय सुनिश्चित हो और यह आय सरकारी कर्मचारी की आय के बराबर हो. 

यूनियन की अगली राष्ट्रीय पंचायत 6 अक्तूबर 2013 को गोमती तट पर किसान घाट, (झूलेलाल पार्क के पास) लखनऊ में होगी। यह चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के जन्म का दिन है. 

विद्या आश्रम 

Monday, August 5, 2013

ज्ञान की राजनीति - इंदौर विमर्श

दिनांक ३१ जुलाई की शाम को इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ज्ञान की राजनीति पर आपस में विमर्श किया। प्रेस क्लब इंदौर के बगल में गगन रेस्टोरेंट के बैठक कक्ष में लोकविद्या जन आन्दोलन की राष्ट्रीय संयोजक डा. चित्रा सहस्रबुद्धे ने ' चुनाव और ज्ञान की राजनीति ' के विषय पर एक नयी प्रस्थापना दी. उन्होंने कहा कि गरीबी और गैर-बराबरी समाप्त करने के लिए ज्ञान की दुनिया में बराबरी आवश्यक है. इसी दृष्टिकोण से लोकविद्या के आधार पर समाज में एक ज्ञान आन्दोलन की शुरुआत की गयी है जिसे लोकविद्या जन आन्दोलन कहते हैं। लोकविद्या द्वारा बराबरी का दावा पेश करना ही इस आन्दोलन और ज्ञान की राजनीति के मूल में है. यदि किसानों और आदिवासियों के संघर्षों में उनका साथ देने वाले समूह लोकविद्या के लिए सम्मान को आधार बनाकर आपस में समन्वय करें और अपने कार्यों एवं बहसों में ज्ञान की भाषा का समावेश करें तो ज्ञान की राजनीति  सार्वजनिक बहस में दखल लेना शुरू कर देगी तथा राजनीतिक बहस में चमत्कारिक परिवर्तन आएगा, बुनियादी सवाल बहस के केंद्र में आ जायेंगे। मध्य प्रदेश किसानों और आदिवासियों का प्रदेश है, यहाँ से होने वाला ज्ञान की राजनीति का आगाज़ पूरे देश को एक सन्देश दे सकेगा।
सभा में बोलते  संजीव दाजी 

बैठक लोकविद्या समन्वय समूह इंदौर द्वारा आयोजित थी. इस समूह के संचालक संजीव दाजी ने लोकविद्या दृष्टिकोण से  इंदौर के आसपास किये जा रहे कार्यों तथा किसानों और आदिवासियों के संघर्षों में समूह की भागीदारी के बारे में बताया। सामाजिक कार्यकर्त्ता व एडवोकेट अनिल त्रिवेदी ने लोकविद्या जन आन्दोलन को महात्मा गाँधी के आन्दोलन एवं मूल्यों से जोड़ा और कहा कि यह संघर्ष लम्बा है जिसमें साहस, सब्र और समझ की ज़रुरत है. इंदौर के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता डा. तपन भट्टाचार्य ने पहल का स्वागत किया और कहा कि  ज्ञान  की राजनीति में यह संभावना है कि संघर्षशील समूहों को एकजुट करके बुनियादी बदलाव के लिए ज्ञान का एक नया दर्शन समाज के सामने लाये। कालीबिल्लोद में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चल रहे संघर्ष के किसान नेता बाबुभाई पटेल ने शासन की ज्यादतियों और किसानों के संघर्ष के बारे  में बताया।
 तपन भट्टाचार्य 

सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार प्रकाश महावर कोली ने कारीगरों के ज्ञान को इंजिनियर के ज्ञान के बराबर बताया और उसी हिसाब से आर्थिक और सामाजिक बराबरी की मांग की.निमाड़ महासंघ के संजय रोकडे, प्रियन्त टाइम्स के प्रेरित प्रियन्त, अन्ना  आन्दोलन के युवराज ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

अंत में वाराणसी के विद्या आश्रम के सुनील सहस्रबुद्धे ने कहा कि लोकविद्या के लिए बराबरी के दावे की शुरुआत इस बात से होती है कि लोकविद्या के आधार पर काम करने वाले सभी लोगों की आय सुनिश्चित होनी चाहिए और यह कि उनकी आमदनी सरकारी कर्मचारी के बराबर होनी चाहिये। यह कैसे किया जा सकता है व इस विचार के विभिन्न पक्ष क्या हैं तथा यह समाज को बदलाव और खुशहाली के रास्ते पर कैसे ले जायेगा , इनकी बारीकियों को उन्होंने सामने लाया।

प्रकाश महावर कोली 

बैठक में  बस्तियों से आये कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, पत्रकार , किसान और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
सभा का समापन इंदौर के वयोवृद्ध समाज सेवी प्रीतम सिंह छाबरा ने अपने शुभ उद्गारों के साथ किया।

संजीव दाजी
लोकविद्या समन्वय समूह
1924 -डी, सुदामा नगर , इंदौर
मो. न. : +91-9926426858