Thursday, December 15, 2022

समाज के पुनर्निर्माण का कला-मार्ग

दो दिवसीय कला शिविर

समाज के पुनर्निर्माण का कला-मार्ग

शनिवार 17 - रविवार 18 दिसंबर 2022
विद्या आश्रम, सारनाथ

औद्योगिक क्रांति के बाद से दुनिया में साईंस आधारित समाजों ने आकार लेना शुरू किया और आज दुनिया के लगभग सभी देशों में ये समाज फैल चुके हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो दुनिया और जीवन को देखने, समझने और रचना आदि के क्षेत्रों पर आज साईंस का एकाधिकार हो गया है.  हालांकि साइंस मात्र भौतिक जगत की समझ का दायरा है और भाव जगत को ज्ञान क्षेत्र का अंग मानने से इनकार करता है. साईंस की इस संकुचित क्षमता को नज़रअंदाज़ कर उसे एकमात्र सही, जायज़ और सम्पूर्ण ज्ञान का दर्जा दे दिया गया है. नतीजा यह है कि आज संगठित देशों की व्यवस्थायें बेलगाम होकर मनुष्य और प्रकृति विरोधी बन गई हैं और संवेदनहीन, लालची, हिंसक और विध्वंसक हैं.
इस बेरहम और हिंसक समाज-व्यवस्था को बदलना है तो भौतिक जगत और भाव जगत दोनों को समाहित करनेवाले दृष्टिकोण की ज़रूरत है. हमारा मानना है कि कला दृष्टिकोण एक ऐसा ही मार्ग है. 


समाज के पुनर्निर्माण का कला मार्ग दिल और दिमाग की एकीकृत संयोजित पहल है. एक ऐसी पहल जिसमें तर्क और रचना के ताने-बाने की बुनाई गतिशील और न्याय संगत होने का स्पष्ट आग्रह रखती है. इसमें मनुष्य और प्रकृति के परस्पर सहयोगी और सहजीवन के मूल्य जन्म लेते हैं, खिलते और विकसित होते हैं. जीवन संगठन की व्यवस्थायें ऐसे मूल्यों पर खड़ी की जायें तो ये दुनिया निश्चित ही बेहतर बनेगी. 


विद्या आश्रम ऐसे कला मार्ग को बनाने में अपनी भूमिका देखता है. इस दिशा में बढ़ने के क्रम में विद्या आश्रम पर 17-18 दिसम्बर 2022 को दो दिवसीय एक कार्यक्रम रखा गया है जो नीचे दिया जा रहा है.
आप इस कला शिविर में सादर आमंत्रित हैं, अवश्य आयें.

निवेदक
कला शिविर आयोजन समिति की ओर से
चित्रा सहस्रबुद्धे (9838944822), प्रेमलता सिंह, मुनीज़ा खान, अपर्णा (9479060031) , इंदु पाण्डेय, हरिश्चंद्र बिन्द

कार्यक्रम

पहले दिन : शनिवार, 17 दिसंबर 2022, दोपहर 2.00 बजे से

विषय: कला दृष्टि और न्यायोन्मुख समाज परिवर्तन के विषय पर चर्चा
वक्ता:
1.    नूर फातमा         :    मजरूह सुलतानपुरी की कला दृष्टि
2.    सलीम राजा        :    नाट्य निर्देशन की रचना यात्रा  
3.    रामजी यादव      :    कला, आधुनिक मल्टी मीडिया और परिवर्तन की बिछायत
4.    चित्रा सहस्रबुद्धे   :    समाज निर्माण का वैचारिक आधार   
5.    प्रसन्ना, बंगलुरु    :    समाज के न्यायोन्मुख बदलाव की दृष्टि के निर्माण में कला की भूमिका
 

दूसरे दिन : रविवार, 18 दिसंबर 2022, सुबह 11.00 बजे से

1.    नाट्य शिविर : प्रसन्नाजी के मार्ग दर्शन में भारतीय नाट्य कला के पक्ष  
2.    नाट्य प्रस्तुति : ‘समता नगर चौपट राज’ नाटक की प्रस्तुति और इस पर चर्चा.

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