Thursday, May 19, 2011

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत कीर्ति सभा

जगदीश सिंह यादव, दिलीप कुमार'दिली' और लक्ष्मण प्रसाद मौर्य कल ही सिसौली से लौटे। रविवार १५ मई की सुबह चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का निधन हो गया। जिला मुज़फ्फरनगर के उनके गाँव और भारतीय किसान यूनियन (भा. कि.यू.) के संगठनात्मक केंद्र, सिसौली में बड़ी संख्या में लोग अपने नेता के 'अंतिम दर्शन' और श्रद्धांजलि देने के लिए जमा हुए। बहुत बड़ी तादाद में किसान और सभी पार्टियों के नेता और मंत्री वहां थे। खास बात जो वहां से लौटे हमारे मित्रों ने बताई वह यह कि किसानों की भीड़ के चलते मंत्री और नेता चौधरी के पास तक नहीं जा पा रहें थे और अंत में उन्हें यह मौका तभी मिला जब चौधरी का शरीर किसान भवन के सामने खुले मैदान में अंत्येष्टि के लिए रखा गया। यह सर्वदा किसान आन्दोलन की प्रथा और चौधरी के विचार के अनुरूप था कि किसान पहले और तब नेता। यह वह श्रद्धांजलि थी जिसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन होता है।
चौधरी के साथ काम करने और लोक आन्दोलन का गुरु मंत्र हासिल करने के सन्दर्भ में एक बार छत्तीसगढ़ के जुझारू और कर्मठ मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी ने अपने दिल्ली के एक मित्र से कहा था " मैं अगर आपके स्थान पर होता तो साल भर चौधरी का हुक्का भरता"।
१९८७ में उभरे इस किसान नेता ने पूरी राजनीति को हिला कर रख दिया था। आधुनिक ज़माने के उन चंद नेताओं में चौधरी रहे जिन्हें पढ़े-लिखे लोगों का समर्थन नहीं के बराबर मिला। हमारा लोकविद्या का विचार चौधरी से बड़ी ताकत हासिल करता रहा। हम लोग १९७७ से किसान आन्दोलन में हैं। लोकविद्या का वर्त्तमान समूह उस वक्त कानपुर से 'मजदूर किसान नीति' पत्रिका निकाला करता था। यह किसान आन्दोलन कि पत्रिका बनी और हमने तब से आज तक किसान आन्दोलन का बिना शर्त समर्थन किया है।
भा.कि.यू. का अ-राजनीतिकता का विचार वास्तव में लोकविद्याधर समाज की संवेदना और समझ की सार्वजनिक अभिव्यक्ति है। लोकविद्या का विचार इसी संवेदना और समझ की दार्शनिक अभिव्यक्ति है। महेंद्र सिंह टिकैत के किसान आन्दोलन ने बहुत बड़े पैमाने पर वह रास्ता खोला है जिसमें पूरा लोकविद्याधर समाज (किसान, कारीगर, आदिवासी, छोटे-छोटे दुकानदार और महिलाएं ) आपस में एकता बना सकता है। ऐसी एकता बना सकता है, जो उनके खुशहाल भविष्य का पैगाम लेकर आये। लोकविद्या जन आन्दोलन इसी एकता का सार्वजनिक सैद्धांतिक आधार रचता है.

विद्या आश्रम पर १५ मई को ही सारनाथ के आस-पास के लोकविद्या कार्यकर्ता जुटे और हमने चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत पर एक कीर्ति और संकल्प चर्चा की। २२ मई को गंगा-वरुण संगम पर चौधरी की अस्थियाँ गंगा में प्रवाहित की जाएँगी। वाराणसी मंडल के भारतीय किसान यूनियन ने इस कार्य के साथ घाट पर एक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत श्रद्धांजलि व कीर्ति सभा का आयोजन किया है।

बुधराम

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