इंदौर के पास घाटाबिल्लोद नाम के गाँव में 9 सितम्बर 2012 को एक ज्ञान पंचायत हुई जिसमें लगभग 35 गांवों के किसानों और आदिवासियों ने हिस्सा लिया। यह ज्ञान पंचायत पीथमपुर के औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार से पैदा हो रही समस्याओं पर विचार के लिए आयोजित की गयी थी। लोकविद्या समन्वय समिति की और से आयोजित इस ज्ञान पंचायत में लगभग 200 लोगों की भागीदारी में औद्योगिक विस्तार से हो रहे लोकाविद्याधर समाज के विस्थापन पर विस्तार से चर्चा हुई। इन बातों पर भी गंभीर चर्चा हुई की इस प्रक्रिया में एक तो राष्ट्रीय संसाधनों तक लोगों की पहुँच घट जाती है और साथ ही उनकी आय कम होने के साथ-साथ उसकी अनिश्चितता भी बढ़ जाती है। लोकविद्या के बल पर जीने के अधिकार और लोकविद्या बाज़ार की बात भी विभिन्न वक्ताओं ने की।
स्थानीय लोगों के अलावा इंदौर से अनिल त्रिवेदी, तपन भट्टाचार्य व लोकविद्या समन्वय समिति के कार्यकर्ता शामिल हुए। सिंगरौली से रविशेखर और एकता तथा वाराणसी से दिलीप कुमार 'दिली' की भागीदारी रही। प्रमुख संगठन कर्ता संजीव दाजी रहे जिनका पंचायत में बोलते हुए चित्र नीचे दिया जा रहा है।
सबको सिंगरौली में प्रस्तावित 28-30 सितम्बर 2012 के मध्य प्रदेश सम्मलेन में आने का निमंत्रण दिया गया। उस क्षेत्र से एक लोकविद्या यात्रा निकाल कर तमाम बीच के जिलों के ग्रामीण इलाकों से होते हुए सिंगरौली तक ले जाने का मन बनाया गया।
लोकविद्या समन्वय समिति
इंदौर
स्थानीय लोगों के अलावा इंदौर से अनिल त्रिवेदी, तपन भट्टाचार्य व लोकविद्या समन्वय समिति के कार्यकर्ता शामिल हुए। सिंगरौली से रविशेखर और एकता तथा वाराणसी से दिलीप कुमार 'दिली' की भागीदारी रही। प्रमुख संगठन कर्ता संजीव दाजी रहे जिनका पंचायत में बोलते हुए चित्र नीचे दिया जा रहा है।
सबको सिंगरौली में प्रस्तावित 28-30 सितम्बर 2012 के मध्य प्रदेश सम्मलेन में आने का निमंत्रण दिया गया। उस क्षेत्र से एक लोकविद्या यात्रा निकाल कर तमाम बीच के जिलों के ग्रामीण इलाकों से होते हुए सिंगरौली तक ले जाने का मन बनाया गया।
संजीव दाजी बोलते हुए
लोकविद्या समन्वय समिति
इंदौर
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