वाराणसी शहर के कारीगरों ने आपस में बैठकें कर के केंद्र सरकार की नीतियों पर चर्चा की, विशेष कर 'मेक इन इंडिया ' पर बुनकरों की दृष्टि से बात हुई।
कारीगर नज़रिया से कारीगर-समाज की खुशहाली के रास्तों की खोज के लिए रविवार 14 दिसंबर 2014 की दोपहर को वाराणसी के टाउन हॉल में गांधी - कस्तूरबा प्रतिमा के पास आयोजित इस बैठक में शहर के कारीगरों ने कहा की हम कारीगर तमाम स्वदेशी संसाधनों के पुश्तैनी कारीगर हैं और हमारा काम बढ़ेगा तो देश की तरक्की में बड़ा योगदान हो सकेगा, साथ ही हमारी स्थितियों में भी बदलाव आएगा। आज लम्बे समय से हमारी आमदनी इतनी कम है कि हम अपने परिवारों का न्यूनतम इंतज़ाम भी नहीं कर पा रहे हैं। हमारे ज्ञान और शिल्प का तो दूर, हमारे श्रम का मूल्य भी नहीं के बराबर मिल रहा है। क्या 'मेक इन इंडिया' योजना हमारी उम्मीदों को पूरा करने में कोई कदम लेता है?
इस विषय पर विस्तार से चर्चा के बाद कारीगरों ने निम्नलिखित के लिए केंद्र सरकार से दरख़्वास्त की है। फिर 20 दिसंबर को कारीगरों ने पुनः एक बैठक कबीर मठ में की और यह तय किया कि ये बैठकें कारीगर-समाज आगे भी करता रहेगा और केंद्र की सरकार व समाज के सामने कारीगरों का नजरिया लाता रहेगा।
बैठकों में तैयार की गई दरख़्वास्त पर शहर से लगभग 15 मोहल्लों के लगभग 350 कारीगरों ने हस्ताक्षर किये और शहर के सांसद एवं भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शहर स्थित कार्यालय में 24 दिसंबर को एक समूह में जाकर कारीगरों ने इसे दिया।
वाराणसी के कारीगर - समाज की दरख़्वास्त है कि --
कारीगर नजरिया
एहसान अली
प्रेमलता सिंह
कारीगर नज़रिया से कारीगर-समाज की खुशहाली के रास्तों की खोज के लिए रविवार 14 दिसंबर 2014 की दोपहर को वाराणसी के टाउन हॉल में गांधी - कस्तूरबा प्रतिमा के पास आयोजित इस बैठक में शहर के कारीगरों ने कहा की हम कारीगर तमाम स्वदेशी संसाधनों के पुश्तैनी कारीगर हैं और हमारा काम बढ़ेगा तो देश की तरक्की में बड़ा योगदान हो सकेगा, साथ ही हमारी स्थितियों में भी बदलाव आएगा। आज लम्बे समय से हमारी आमदनी इतनी कम है कि हम अपने परिवारों का न्यूनतम इंतज़ाम भी नहीं कर पा रहे हैं। हमारे ज्ञान और शिल्प का तो दूर, हमारे श्रम का मूल्य भी नहीं के बराबर मिल रहा है। क्या 'मेक इन इंडिया' योजना हमारी उम्मीदों को पूरा करने में कोई कदम लेता है?
इस विषय पर विस्तार से चर्चा के बाद कारीगरों ने निम्नलिखित के लिए केंद्र सरकार से दरख़्वास्त की है। फिर 20 दिसंबर को कारीगरों ने पुनः एक बैठक कबीर मठ में की और यह तय किया कि ये बैठकें कारीगर-समाज आगे भी करता रहेगा और केंद्र की सरकार व समाज के सामने कारीगरों का नजरिया लाता रहेगा।
बैठकों में तैयार की गई दरख़्वास्त पर शहर से लगभग 15 मोहल्लों के लगभग 350 कारीगरों ने हस्ताक्षर किये और शहर के सांसद एवं भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शहर स्थित कार्यालय में 24 दिसंबर को एक समूह में जाकर कारीगरों ने इसे दिया।
वाराणसी के कारीगर - समाज की दरख़्वास्त है कि --
- हमारे ज्ञान और शिल्प का न्यायसंगत आकलन किया जाये।
- हमारे लिए भी ऐसी व्यवस्थाएं की जाएं कि हमारी आय में मज़बूत इजाफा हो और हमें भी सरकारी कर्मचारियों की तरह पक्की और नियमित आय हो सके।
- 'मेक इन इंडिया' की बुनियाद बाहरी कंपनियों की पूँजी में न होकर हमारे देश के कारीगरों के ज्ञान और हुनर पर हो।
- कारीगर-समाज में अपने ज्ञान और हुनर की तालीम देने और इसमें इजाफा करने की पूरी क्षमतायें हैं। शिक्षा-प्रशिक्षण के कार्यक्रमों और संस्थाओं में कारीगरों की इन क्षमताओं को सरकार द्वारा सुनिश्चित स्थान दिया जाना चाहिए।
- कारीगरों के सामने बाजार की अनिश्चितता का बड़ा संकट है। उन्हें कच्चा माल सस्ता मुहैया करने और उनके उत्पादन की खरीद लाभकारी मूल्यों पर होने की व्यवस्था पक्की की जाये।
कारीगर नजरिया
एहसान अली
प्रेमलता सिंह
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