15 मई को चौ. महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि रही। भारतीय किसान यूनियन की वाराणसी जिला इकाई ने इस मौके पर दीनापुर के संघर्ष स्थल पर एकत्र होकर अपने नेता को श्रद्धांजलि दी और इस पर चर्चा की कि किस तरह वाराणसी के इर्द गिर्द हो रहे किसान संघर्षों में एकजुटता पैदा की जाये । दीनापुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए ली गयी ज़मीन का मुआवज़ा 1986 से अभी तक नहीं दिया गया है और अभी भी उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद नहीं दिया जा रहा है। इसी मुआवज़े के लिए वहां के करीब 50 किसान प्लांट के दरवाज़े बंद करके अब 15 दिन से धरने पर बैठे हैं। इसी धरना स्थल पर इन्हें समर्थन देते हुए किसान यूनियन ने टिकैत जी की स्मृति में विचारों का आदान प्रदान किया। नीचे इसके दो फोटो हैं।
सभा में बोलते सुनील सहस्रबुद्धे, जिन्होंने कहा कि टिकैत साहब यह सिखा गये हैं कि किसानों को अपने संगठन और संघर्षों का नेतृत्व खुद करना है और यह कि इसके लिए आवश्यक समझ और सूझबूझ किसानों से अधिक किसी के पास नहीं है।
सभा में बोलते हुये दिलीप कुमार 'दिली', जिन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि किसान के ज्ञान को जब तक वह मुआवज़ा नहीं मिलता जो विश्वविद्यालय के ज्ञान को मिलता है तब तक सभी संघर्ष अधूरे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के वाराणसी ज़िले के अध्यक्ष आचार्य लक्ष्मण प्रसाद और नगर अध्यक्ष कृष्ण कुमार 'क्रांति' ने वार्ता जारी रख कर यह बताया की किस तरह वाराणसी नगर का विकास मंत्र वाराणसी के किसानों के लिए विनाश मन्त्र बनकर आया है और यह कि किसान यूनियन किसानों के हितों की रक्षा में शहर और गाँव के बीच संतुलित रिश्ते की बहस को खोल रहा है और उसके लिए किसानों को एकजुट कर रहा है। इस धरना सभा का संचालन राममूरत मास्टर साहब ने किया।
विद्या आश्रम