शनिवार 18 मार्च 2017 की दोपहर 4 बजे वाराणसी के परिवर्तन के कार्यकर्त्ता विद्या आश्रम, सारनाथ में बैठे और नई परिस्थितियों पर आपस में बात किये। नई परिस्थिति यानि उत्तर प्रदेश के चुनावों में चुनकर आये विधायकों में अधिकांश भारतीय जनता पार्टी के हैं और उनकी बहुमत की सरकार बन रही है। बैठक विद्या आश्रम ने बुलाई थी और यह कह कर बुलाई थी कि अब परिवर्तन के कार्यकर्ताओं पर एक बड़ी वैचारिक ज़िम्मेदारी आ पड़ी है। मौजूदा विचार सामाजिक ध्रुवीकरण के इस चरण से मुकाबला करने में नाकाम साबित हो रहे हैं और जनता से जुड़े तथा लोकदृष्टि का सम्मान करने वाले कार्यकर्ताओं को उस नई बहस को आकार देना है जो समय की चुनौतियों पर खरी उतरे। महात्मा गाँधी का सन्दर्भ लेने का भी आग्रह रहा।
बैठक में लगभग 30 कार्यकर्त्ता शामिल रहे। अधिकांश किसी चल रही राजनैतिक विचारधारा से सम्बद्ध नहीं थे। सभी ने बैठक में अपने विचार रखे। मोटे तौर पर चुनाव प्रक्रिया की खामियों, लोकतंत्र की सीमाओं, धनतंत्र और मीडिया के जन विरोधी हस्तक्षेप, नई तकनीकी 'स्मार्ट ' दुनिया के एकतरफा आकर्षण, ध्रुवीकरण के आतंकित करने वाले परिणामों व गाँधी जी द्वारा बताये गये सात सामाजिक पापों तथा स्वराज के अर्थों पर बातें हुईं। लोकचेतना समिति के नीति भाई, साझा संस्कृति मंच के वल्लभाचार्य, सर्वोदय की जागृती राही , गाँधी विद्या संस्था की डा. मुनीज़ा खान, भारतीय किसान यूनियन के लक्ष्मण प्रसाद और कृष्ण कुमार क्रांति, कारीगर नजरिया के एहसान अली और आलम अंसारी, लोकविद्या जन आंदोलन की प्रेमलता सिंह, बबलू कुमार और मोहम्मद अलीम, आर. आई. डी. एम. के डॉ. अनूप श्रमिक, विद्या आश्रम के फ़िरोज़, प्रभावती, अंजू और कमलेश, चित्रा जी और सुनील, तथा सतीश सिंह, संतलाल, मक़बूल, बशीर, शिवमूरत राजभर, टेनी मौर्या , दीनानाथ , पंचम प्रसाद, मुन्नू प्रसाद , प्रवाल कुमार , संजय, राजेंद्र प्रसाद , प्रमेश यादव, व अन्य उपस्थित थे.
आपस में बातचीत का यह सिलसिला जारी रखने पर सहमति बनी।
अगली बैठक राजघाट के सर्वोदय परिसर में करना तय हुआ। यह बैठक रविवार 2 अप्रैल को दोपहर 2 बजे होगी।
इसका आयोजन सर्वोदय की जागृति राही, आशा ट्रस्ट के वल्लभाचार्य पाण्डेय और गाँधी विद्या संस्थान की डा. मुनीज़ा खान करेंगे।
विद्या आश्रम
बैठक में लगभग 30 कार्यकर्त्ता शामिल रहे। अधिकांश किसी चल रही राजनैतिक विचारधारा से सम्बद्ध नहीं थे। सभी ने बैठक में अपने विचार रखे। मोटे तौर पर चुनाव प्रक्रिया की खामियों, लोकतंत्र की सीमाओं, धनतंत्र और मीडिया के जन विरोधी हस्तक्षेप, नई तकनीकी 'स्मार्ट ' दुनिया के एकतरफा आकर्षण, ध्रुवीकरण के आतंकित करने वाले परिणामों व गाँधी जी द्वारा बताये गये सात सामाजिक पापों तथा स्वराज के अर्थों पर बातें हुईं। लोकचेतना समिति के नीति भाई, साझा संस्कृति मंच के वल्लभाचार्य, सर्वोदय की जागृती राही , गाँधी विद्या संस्था की डा. मुनीज़ा खान, भारतीय किसान यूनियन के लक्ष्मण प्रसाद और कृष्ण कुमार क्रांति, कारीगर नजरिया के एहसान अली और आलम अंसारी, लोकविद्या जन आंदोलन की प्रेमलता सिंह, बबलू कुमार और मोहम्मद अलीम, आर. आई. डी. एम. के डॉ. अनूप श्रमिक, विद्या आश्रम के फ़िरोज़, प्रभावती, अंजू और कमलेश, चित्रा जी और सुनील, तथा सतीश सिंह, संतलाल, मक़बूल, बशीर, शिवमूरत राजभर, टेनी मौर्या , दीनानाथ , पंचम प्रसाद, मुन्नू प्रसाद , प्रवाल कुमार , संजय, राजेंद्र प्रसाद , प्रमेश यादव, व अन्य उपस्थित थे.
आपस में बातचीत का यह सिलसिला जारी रखने पर सहमति बनी।
अगली बैठक राजघाट के सर्वोदय परिसर में करना तय हुआ। यह बैठक रविवार 2 अप्रैल को दोपहर 2 बजे होगी।
इसका आयोजन सर्वोदय की जागृति राही, आशा ट्रस्ट के वल्लभाचार्य पाण्डेय और गाँधी विद्या संस्थान की डा. मुनीज़ा खान करेंगे।
विद्या आश्रम
No comments:
Post a Comment