दर्शन अखाड़ा के नाम से विद्या आश्रम ने यह
ब्लॉग शुरू किया है.
जब प्रचलित समकालीन राजनीतिक धाराएं अप्रासंगिक
मालूम पड़ने लगें अथवा एकांगी और ज्यादती करने वाली जान पड़ें तो समझा जा सकता है कि
सवाल अथवा उलझन केवल राजनीतिक नहीं है. जब यह आम चर्चा का विषय हो जाये कि कोई भी
राजनीतिक दल जनोपयोगी कार्य करने में असफल नज़र आ रहा है तो चिंता का विषय केवल नया
दल बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए. इन परिस्थितियों में सामाजिक सरोकार रखने वाले
और समाज की चिंता करने वाले एक नए दर्शन की खोज में होते हैं. विद्या आश्रम इसी
खोज का एक साथी है और दर्शन अखाड़ा उसका एक प्रयास.
हम मानते हैं कि हर व्यक्ति में एक दार्शनिक
होता है. हम दार्शनिक संवाद की भाषा को खोलना चाहते हैं. जब सामान्य भाषा में
दर्शन संवाद होगा तब सामान्य लोगों और समाज के नेतृत्व के बीच दर्शन संवाद हो
सकेगा. यानि शिक्षा, प्रबंधन, कानून, स्वास्थ्य, आर्थिकी, साइंस, प्रौद्योगिकी,
नीति, प्रशासन, राजनीति, कला, बिरादरी, धर्म, आदि क्षेत्रों के नेतृत्व और आम लोगों के बीच बुनियादी वार्ताएं
हो सकेंगी.
आइये, विचार की दुनिया में एक नई हलचल और
भाईचारा बनाने का प्रयास किया जाये. समाज में बदलाव के लिए एक नई ज़मीन बनाई जाये.
हमें आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा. कृपया अपना मत
व्यक्त करने के साथ ही इस पर भी सुझाव दें कि इस ब्लॉग को एक दार्शनिक बहस के
स्थान के रूप में कैसे संगठित किया जाये.
विद्या आश्रम