मार्च 2019 से एक अंतराल के बाद 'कारीगर नजरिया' फिर से छपना शुरू हुआ है. फिलहाल आगामी लोकसभा चुनाव के ठोस सन्दर्भों के चलते बहस की ज़रूरतों को ध्यान में रखा गया है. जिन विषयों को सामने रखा गया हैं वे हैं -- ज्ञान, आय और रोज़गार ; बौद्धिक सम्पदा, प्रगति के मानक और जलवायु ; सामाजिक न्याय संघर्ष के आगे के कदम, स्वराज का विचार और वास्तविक सम्भावनायें , सामाजिक और राजनैतिक नेतृत्व से वार्ता व लोकविद्या जन आंदोलन की रिपोर्टिंग, जिसमें ज्ञान पंचायतों की प्रक्रिया और सबकी पक्की आय के दावे प्रमुख हैं.
मार्च के अंक में कारीगर और किसान देश का अजेंडा बनाएं इस पर ज़ोर दिया गया है. सब्सिडी और खैरात से एकदम अलग, गरीबी और मज़बूरी से दूर हटकर ज्ञान पर आधारित आय को जायज़ बताते हुए वस्तुपरक तर्क प्रस्तुत किये गए हैं, तथा इस सन्दर्भ में स्वराज के ज्ञान आधार पर चर्चा है. अविरल निर्मल गंगाजी के लिए साधुओं के त्याग भरे संघर्ष को समर्थन दिया गया है।
'कारीगर नजरिया' का छठा अंक अप्रैल , 2019 का है. इसमें स्थानीय कारीगरों और राजनीतिक नेताओं से ‘सबकी पक्की और नियमित आय’ के सवाल पर की गई वार्ता को स्थान दिया गया है. इसके अलावा इस प्रश्न को एक बड़े घेरे में भी रखा गया है जिसके अन्तर्गत पूँजी और संपत्ति के प्रश्न पर बहस के लिए एक पहल की गई है और आय की सुरक्षा को ‘शहरीकरण कैसा हो’, महानगरों की तुलना में कस्बाई प्रवृत्ति का हो, इससे जोड़ा गया है.
अप्रैल अंक का लिंक है: http://www.vidyaashram.org/papers/Karigar%20Najariya-ank-6-April-2019.pdf
मार्च अंक का लिंक है: http://www.vidyaashram.org/papers/Karigar%20Nazaria.pdf-ank-5-Mar-2019.pdf
मार्च के अंक में कारीगर और किसान देश का अजेंडा बनाएं इस पर ज़ोर दिया गया है. सब्सिडी और खैरात से एकदम अलग, गरीबी और मज़बूरी से दूर हटकर ज्ञान पर आधारित आय को जायज़ बताते हुए वस्तुपरक तर्क प्रस्तुत किये गए हैं, तथा इस सन्दर्भ में स्वराज के ज्ञान आधार पर चर्चा है. अविरल निर्मल गंगाजी के लिए साधुओं के त्याग भरे संघर्ष को समर्थन दिया गया है।
'कारीगर नजरिया' का छठा अंक अप्रैल , 2019 का है. इसमें स्थानीय कारीगरों और राजनीतिक नेताओं से ‘सबकी पक्की और नियमित आय’ के सवाल पर की गई वार्ता को स्थान दिया गया है. इसके अलावा इस प्रश्न को एक बड़े घेरे में भी रखा गया है जिसके अन्तर्गत पूँजी और संपत्ति के प्रश्न पर बहस के लिए एक पहल की गई है और आय की सुरक्षा को ‘शहरीकरण कैसा हो’, महानगरों की तुलना में कस्बाई प्रवृत्ति का हो, इससे जोड़ा गया है.
अप्रैल अंक का लिंक है: http://www.vidyaashram.org/papers/Karigar%20Najariya-ank-6-April-2019.pdf
मार्च अंक का लिंक है: http://www.vidyaashram.org/papers/Karigar%20Nazaria.pdf-ank-5-Mar-2019.pdf
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