तैयारी बैठक 16 नवम्बर 2021
विद्या आश्रम में यह तैयारी बैठक मंगलवार, 16 नवम्बर 2021 की दोपहर को हुई. कई
संगठनों के प्रतिनिधियों ने और कई सक्रिय कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. भागीदारों की
सूची नीचे दी गई है. बहस के लिए एक परचा बैठक के सामने रखा गया. यह परचा इस छोटी-सी
रपट के नीचे दिया हुआ है.
अधिकतर वक्ताओं ने किसान आन्दोलन के सन्दर्भ में आन्दोलन का सन्देश फ़ैलाने और
आन्दोलन के लिए लोगों को तैयार करने के बारे में बात की. किसान आन्दोलन के व्यापक
फलक के सन्दर्भ में यह बात भी आई कि कोई भी राजनीतिक दल न किसानों का दर्द समझते
हैं और न किसानों की बदहाली के मूल कारणों की ओर ध्यान ही देते हैं. शायद ये बातें
आज की आर्थिक-राजनीतिक व्यवस्था में निहित हैं और राजनीतिक दल केवल इनके पोषण की
भूमिका निभाते रहते हैं. इस बात पर जोर आया कि जब तक बुनियादी तौर पर अलग आर्थिक
और राजनीतिक ढांचे की ज़रूरत सार्वजनिक बहस में नहीं आएगी, तब तक वर्तमान ठहराव और
फंसाहट से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिलेगा. कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने,
जिनमें कारीगर संगठन भी शामिल हैं, यह कहा कि किसान आन्दोलन ने परिवर्तन का एक
बहुत बड़ा मौका तैयार किया है और यदि परिवर्तनकारी शक्तियां इस मौके का कारगर
इस्तेमाल नहीं कर पातीं तो यह देश और समाज के लिए एक बहुत बड़ी त्रासदी होगी. यह
बात हुई कि इन सब विचारों को समेटते हुए किसान-कारीगर ज्ञान-पंचायत को अपने को आकार
देना होगा और समय की मांग के अनुरूप अपनी भूमिका निभानी होगी. यह महसूस किया गया
कि कुछ निश्चित बिंदु इस ज्ञान पंचायत के विषय के रूप में पहचाने जायें, जिससे
पंचायत में भागीदार सभी के विचारों को एक फोकस और दिशाबोध के साथ संयोजित किया जा
सके. इन बातों को ध्यान में रखते हुए दो बिंदु प्रस्तावित किये.
1.
हर किसान और कारीगर,
मिस्त्री, सेवा कर्मी, लोक कलाकार आदि सभी, यानि लोकविद्या के बल पर काम करने वाले
सभी, परिवारों की आय सरकारी कर्मचारियों जैसी होनी चाहिए. इसके लिए सरकार की नीति
क्या होनी चाहिए?
2.
किसान आन्दोलन यह इंगित
कर रहा है कि न्याय, त्याग और भाईचारा वे मूल्य हैं जिनके मार्गदर्शन में समाज
परिवर्तन और नई व्यवस्थाओं के बारे में सोचा जाना चाहिए.
पहला बिंदु हमें आर्थिक ढांचे पर बात करने का एक मज़बूत आधार देगा और दूसरा
बिंदु उस राजनैतिक ढांचे के विमर्श को खोलेगा जो 21वीं सदी में स्वराज का क्या रूप
बनना चाहिए उस पर प्रकाश डालेगा.
विश्वविद्यालय के ज्ञान पर आधारित आर्थिक राजनीतिक ढांचे ने हमें जो कुछ भी
दिया है वह सबके सामने है. निश्चित ही अब समय आ गया है कि लोगों के पास जो अपना
ज्ञान है, उनकी जो अपनी दर्शन परंपरायें हैं उन्हें समाज को व्यवस्थित करने का
मौका मिलना चाहिए.
इन सब बातों को लेकर प्रस्तावित किसान-कारीगर ज्ञान पंचायत हो इस पर आम सहमति
बनी. यह राय भी सामने आई कि इस पंचायत का परिप्रेक्ष्य पूर्वांचल यानि पूर्वी
उत्तर प्रदेश का हो. इन बातों पर सब लोग सोचें और एक बार फिर मिलें और अगली बैठक
24 नवम्बर की दोपहर 2.00 बजे विद्या आश्रम में करने का तय हुआ. उसी बैठक में
प्रस्तावित ज्ञान पंचायत की तारीख और स्थान दोनों तय किया जायेगा.
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भागीदारों की सूची
1.
लक्ष्मण प्रसाद, जिला अध्यक्ष,
भारतीय किसान यूनियन, वाराणसी
2.
रामजनम, स्वराज अभियान
3.
फ़ज़लुर्रहमान अंसारी,
बुनकर साझा मंच
4.
जीतेन्द्र प्रताप तिवारी,
भारतीय किसान यूनियन, वाराणसी मंडल अध्यक्ष
5.
हरिश्चंद्र बिन्द, माँ
गंगा निषादराज सेवा समिति, वाराणसी
6.
सुरेन्द्र सिंह, लोकसेवा
समिति, वाराणसी
7.
चित्रा सहस्रबुद्धे,
राष्ट्रीय समन्वयक, लोकविद्या जन आन्दोलन
8.
सतीश सिंह, जन आन्दोलनों
का राष्ट्रीय समन्वय
9.
सतीश सिंह चौहान, भारतीय
किसान यूनियन, चंदौली जिला अध्यक्ष
10.
गोरखनाथ, दर्शन अखाड़ा
11.
युद्धेश कुमार, वाराणसी
12.
रामावतार सिंह, भारतीय
किसान यूनियन, चंदौली
13.
दयाराम शुक्ल, भारतीय
किसान यूनियन, मनिहरा, चंदौली
14.
कमलेश कुमार
15.
विद्यानाथ राजभर
16.
दीनानाथ मौर्य
17.
गोविन्द प्रसाद
18.
सुनील सहस्रबुद्धे,
विद्या आश्रम, सारनाथ
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विचार के लिए मसौदा
ज्ञान पंचायत
19 दिसंबर 2021, पराड़कर भवन वाराणसी
बुनियादी परिवर्तन के सभी विचार ज्ञान की चर्चा के साथ जुड़े होते हैं. यों भी
कहा जा सकता है कि ज्ञान की मौलिक चर्चाओं में परिवर्तन का विचार आकार लेता है.
किसान आन्दोलन ने इस बात को तभी रेखांकित कर दिया जब उन्होंने उनके मसले पर पक्की
राय बनाने के लिए बनाई जा रही विशेषज्ञ समिति को मानने से इनकार कर दिया. और यह भी
कि किसान संसद चलाकर यह स्पष्ट कर दिया कि हम केवल खेती का ही ज्ञान नहीं रखते
बल्कि देश के प्रबंधन और सञ्चालन के ज्ञान में भी दखल रखते हैं. कबीर और रविदास से
परिचित लोग इस बात को भलीभांति जानते हैं कि ज्ञान और परिवर्तन की बातें एक दूसरे
से अलग नहीं की जा सकतीं. आप किसानों से बात कर लें, बुनकरों से बात कर लें या
मल्लाहों से बात कर लें या फिर मोटर साइकिल बनाने वालों से बात कर लें, यह तुरंत
स्पष्ट हो जायेगा की समाज में फैला हुआ ज्ञान बड़ा विस्तृत और गहरा है. और यदि
महिलाओं से बात करेंगे तो ज्ञान और समाज की एक नई दुनिया ही आपके सामने खुलेगी.
समाज में उपस्थित ज्ञान को ढकने वाला पर्दा हटाना होगा. उधार के ज्ञान से यह देश
अब बड़े लम्बे अरसे से चल रहा है. किसी भी राजनीतिक दल में उसके अलावा कहीं और
देखने की हिम्मत नहीं दिखाई देती. सवाल है कि क्या समाज में उपस्थित ज्ञान और
दर्शन एक नया रास्ता दे सकता है.
जब तक एक अलग आर्थिक और राजनीतिक ढांचे पर सार्वजनिक बहस की शुरुआत नहीं होगी,
तब तक न्यायसंगत परिवर्तन के रास्ते नहीं खुलेंगे. किसान आन्दोलन उन मूल्यों की
प्रतिष्ठा की बात कर रहा है, जो एक नए आर्थिक और राजनैतिक ढांचे के बारे में सोचने
के लिए विवश करते हैं. बात शुरू करने के लिए हम इन मूल्यों की न्याय, त्याग और
भाईचारा के रूप में पहचान कर सकते हैं. ये हमें दुनिया के बारे में सोचने के लिए
उन ज्ञान परम्पराओं की और ले जायेंगे, जिनमें ज्ञान और नैतिकता की बात एक दूसरे से
अलग नहीं होती. यह स्वदेशी ज्ञान परंपरा है. ज़रा एक बार इन मौलिक चर्चाओं को
सार्वजनिक बनाने का प्रयास तो किया जाए, पूरी उम्मीद है कि परिवर्तन के फूलों से
सजी हुई एक नई बगिया दिखाई देगी.
पूर्वांचल के सक्रिय साथी इस ज्ञान पंचायत में शामिल होने के लिए आमंत्रित
हैं. उनके योगदान की अपेक्षा है. उम्मीद है कि जो बड़े सवाल सक्रिय कर्मियों के
सामने खड़े हैं उनके जवाब ढूंढने में मदद होगी.
निवेदक
लोकविद्या जन आन्दोलन, भारतीय किसान यूनियन(अराजनीतिक),
स्वराज अभियान,
बुनकर साझा मंच, माँ गंगाजी निषादराज सेवा समिति
संपर्क
चित्रा सहस्रबुद्धे (9838944822), लक्ष्मण प्रसाद (9026219913), रामजनम
(8765619982), फ़ज़लुर्रहमान
अंसारी (7905245553), हरिश्चंद्र बिन्द
(9555744251)
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