वाराणसी में सारनाथ के बरईपुर गाँव में पिछले दो सालों से किसान अपनी ज़मीनों के अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन यहाँ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाना चाहता है। अभी हाल ही में प्रशासन ने सैंकड़ों पोलिस वालों की उपस्थिति में ज़बरदस्ती पैमाइश कर निर्माण कार्य शुरू करने की जब कोशिश की तो किसानों ने ज़बरदस्त विरोध किया। किसान महिलाओं ने जेसीबी मशीन को घेर कर रोक लिया. पुलिस ने लाठी चलाई और किसान नेता को गिरफ्तार कर लिया। लगातार दो तीन दिन यह होता रहा. भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में चल रहे इस संघर्ष में लोकविद्याधर समाज के अन्य घटकों का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश की गयी। जिसमें बुनकर समाज और छोटे दुकानदारों के संगठनों से संपर्क किया गया और वाराणसी शहर के आस-पास के गाँवों में जहाँ-जहाँ किसानों की ज़मीनें अधिग्रहित की जा रही हैं और जहाँ किसान संघर्षरत हैं, गाँव-शहर संवाद यात्रा के मार्फ़त उन सभी का समर्थन भी प्राप्त किया गया। बरईपुर के संघर्ष में अपना पक्ष सार्वजनिक करने के लिए भारतीय किसान यूनियन ने एक पत्रकार वार्ता भी की जिसमें बुनकर संगठन, शहर के कुछ नागरिक और छात्र कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
बुनकर वेलफेयर संघर्ष समिति उ . प्र. ने भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष को एक पत्र लिख कर अपना समर्थन दिया। पत्र का मजमून नीचे दिया है।
" बुनकर वेलफेयर संघर्ष समिति उ . प्र. भारतीय किसान यूनियन के तत्वावधान में विगत कई दिनों से वाराणसी जनपद में चल रहे आन्दोलन का समर्थन करती है. साथ ही साथ किसान यूनियन को बुनकर समाज की ओर से यह विश्वास दिलाते हैं की आपके आन्दोलन का हम बुनकर समाज पूरा-पूरा समर्थन करते हैं और ज़रुरत पड़ने पर वाराणसी का पूरा बुनकर समाज आपके कंधे से कन्धा मिलाकर चलने को तैयार हैं।
बुनकर वेलफेयर संघर्ष समिति उ . प्र. ने भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष को एक पत्र लिख कर अपना समर्थन दिया। पत्र का मजमून नीचे दिया है।
" बुनकर वेलफेयर संघर्ष समिति उ . प्र. भारतीय किसान यूनियन के तत्वावधान में विगत कई दिनों से वाराणसी जनपद में चल रहे आन्दोलन का समर्थन करती है. साथ ही साथ किसान यूनियन को बुनकर समाज की ओर से यह विश्वास दिलाते हैं की आपके आन्दोलन का हम बुनकर समाज पूरा-पूरा समर्थन करते हैं और ज़रुरत पड़ने पर वाराणसी का पूरा बुनकर समाज आपके कंधे से कन्धा मिलाकर चलने को तैयार हैं।
इस उम्मीद के साथ की हिंदुस्तान में दो कौमें ऐसी हैं जो सीधे-सीधे रोज़ी-रोटी से जुडी हैं, किसान और बुनकर ऐसे समाज हैं जो मेहनतकश कौम के नाम से जानी-पहचानी जाती हैं। इसी सूरत में किसानों के दर्द को बुनकर कैसे बर्दाश्त कर पायेगा? किसान भाई अपने आपको कभी भी अकेला न समझे, पूरा बुनकर समाज आपके साथ है।"
विद्या आश्रम
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