Saturday, December 27, 2014

विजय कुमार और जगदीश सिंह यादव अमर रहें

लोकविद्या आंदोलन के दो प्रमुख साथी नहीं रहे। 
लोकविद्या जन आंदोलन के बिहार संयोजक, दरभंगा के साथी विजय कुमार की 30  नवम्बर 2014 को मुग़लसराय स्टेशन पर रेल से दुर्घटना में मृत्यु हो गयी।  
विद्या आश्रम समिति के सदस्य व भारतीय किसान यूनियन के वाराणसी मंडल के अध्यक्ष जगदीश सिंह यादव की लम्बी बीमारी के बाद 22 दिसंबर 2014 को मृत्यु हो गयी।  

दोनों के ही चले जाने से लोकविद्या आंदोलन को गंभीर क्षति हुई है।  

विजय कुमार अपने विद्यार्थी जीवन से ही 1970 के दशक के जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले बिहार आंदोलन से सक्रिय रहे।  उन्होंने लम्बे समय तक लोकजीवन और लोकहित के दृष्टिकोण से पानी के सवाल पर दखल लिया और लोगों को एकजुट करने के साथ ही सरकार की जन विरोधी नीतियों का सतत  विरोध किया। बराबर गरीबी में जीवनयापन किया लेकिन वैचारिक प्रश्नों पर तथा व्यावहारिक क़दमों में भी कभी समझौता नहीं किया।  हमारा उनसे परिचय 2011 में हुआ। तब से वे बिहार में लोकविद्या जन आंदोलन को आकार देने में तथा लोकविद्या के सभी जगहों के कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। बिहार के साथी उनकी स्मृति और परिवार के लिए सहयोग की दृष्टि से एक बैठक दरभंगा में और एक पटना में कर चुके हैं। दो निकट के साथी चंद्रवीर नारायण और सुनील कुमार मंडल अगले सप्ताह वाराणसी आएंगे, तब हम लोग लोकविद्या जन आंदोलन  की ओर से विजय कुमार की स्मृति में, उनके परिवार को आर्थिक सहयोग के लिए और बिहार में लोकविद्या आंदोलन आगे बढ़ाने के लिए क्या किया जाये इस पर विचार करेंगे और कुछ निर्णय लेंगे। 

जगदीश सिंह यादव भारतीय किसान यूनियन के जुझारू और समझदार नेता के रूप में जाने जाते रहे।  वाराणसी के क्षेत्र में पिछले 20 वर्ष किसान संघर्षों को खड़ा करने में उनकी अहम् भूमिका रही। हमारा उनसे परिचय 1997 में किसान संघर्षों के दौरान और लोकविद्या महाधिवेशन की तैयारी के सिलसिले में हुआ।  तब से उन्होंने वाराणसी से संचालित लोकविद्या के सभी कार्यों में पूरा सहयोग किया और यहाँ के लोकविद्या कार्यकर्ताओं ने भारतीय किसान यूनियन की सारी गतिविधियों में उनका पूरा साथ दिया।  26 दिसंबर 2014 को भारतीय किसान यूनियन ने उनके गाँव के पास यूनियन के केंद्रीय स्थल गंगाजी के किनारे भूपौली पम्प कैनाल पर उनकी स्मृति में एक कीर्ति सभा का आयोजन किया।  सालों के किसान संघर्षों के साथी इकठ्ठा हुए और उनके बारे में तथा यूनियन के आगे के क़दमों पर बात की।  दो फैसले लिए गए।  भूपौली में यूनियन उनकी एक प्रतिमा की स्थापना करेगा और उनकी स्मृति में तथा नए कार्यकर्ताओं की जानकारी के लिए उनके सभी साथियों के सहयोग से उनके बारे में एक पुस्तक बनायीं जाएगी।  ये दोनों काम एक साल के अंदर पूरे किये जायेंगे।
27 दिसंबर 2014 की दोपहर को विद्या आश्रम के चिंतन ढाबा पर उनकी स्मृति में एक बैठक की गयी।  स्थानीय साथी उपस्थित थे।  लोकविद्या सत्संग के बोल गाये गए।  भूपौली में हुए उपरोक्त दोनों फैसलों से सबको अवगत कराया गया।  यह बात भी हुई की जनवरी माह में विद्या आश्रम पर किसान यूनियन की एक बड़ी पंचायत की जाये।  यह पंचायत जगदीश सिंह यादव की स्मृति में होगी और उसमें आगे के कार्यों तथा उनके संयोजन पर बातचीत की जाएगी।   

विजय कुमार और जगदीश सिंह दोनों ही की आयु 60 वर्ष से कम थी।  दोनों अपने कार्यों में और समाज में नैतिक प्रतिबद्धताओं से विचलित न होने और नैतिक कसौटियों को हमेशा इस्तेमाल करने वालों के रूप में जाने जाते थे। इनकी स्मृति हम सबको अपने पथ से न डिगने की ताकत देती रहेगी।  

विद्या आश्रम 

Friday, December 26, 2014

वाराणसी के कारीगरों का केंद्र सरकार से निवेदन

वाराणसी शहर के कारीगरों ने आपस में बैठकें कर के केंद्र सरकार की नीतियों पर चर्चा की, विशेष कर 'मेक इन इंडिया ' पर बुनकरों की दृष्टि से बात हुई। 
कारीगर नज़रिया से कारीगर-समाज की खुशहाली के रास्तों की खोज के लिए रविवार 14  दिसंबर 2014  की दोपहर को वाराणसी के टाउन हॉल में गांधी - कस्तूरबा प्रतिमा के पास आयोजित इस बैठक में शहर के कारीगरों ने  कहा की हम कारीगर तमाम स्वदेशी संसाधनों के पुश्तैनी कारीगर हैं और हमारा काम बढ़ेगा तो देश की तरक्की में बड़ा योगदान हो सकेगा,  साथ ही  हमारी स्थितियों में भी बदलाव आएगा। आज लम्बे समय से हमारी आमदनी इतनी कम है कि हम अपने परिवारों का न्यूनतम इंतज़ाम भी नहीं कर पा रहे हैं। हमारे ज्ञान और शिल्प का तो दूर, हमारे श्रम का मूल्य भी नहीं के बराबर मिल रहा है। क्या  'मेक इन इंडिया' योजना हमारी उम्मीदों को पूरा करने में कोई कदम लेता है?
इस विषय पर विस्तार से चर्चा के बाद कारीगरों ने निम्नलिखित के लिए केंद्र सरकार से दरख़्वास्त  की है। फिर 20 दिसंबर को कारीगरों ने पुनः एक बैठक कबीर मठ में की और यह तय किया कि ये बैठकें कारीगर-समाज आगे  भी करता रहेगा और केंद्र की सरकार व समाज के सामने कारीगरों का नजरिया लाता रहेगा।
बैठकों में तैयार की गई दरख़्वास्त पर शहर से लगभग 15 मोहल्लों के लगभग 350 कारीगरों ने हस्ताक्षर किये और शहर के सांसद एवं भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के शहर स्थित कार्यालय में 24 दिसंबर को एक समूह में जाकर कारीगरों ने इसे दिया।

वाराणसी के कारीगर - समाज की दरख़्वास्त  है कि --

  1. हमारे ज्ञान और शिल्प का न्यायसंगत आकलन किया जाये। 
  2. हमारे लिए भी ऐसी व्यवस्थाएं की जाएं कि हमारी आय में मज़बूत इजाफा हो और हमें भी सरकारी कर्मचारियों की तरह पक्की और नियमित आय हो सके। 
  3. 'मेक इन इंडिया' की बुनियाद बाहरी कंपनियों की पूँजी में न होकर हमारे देश के कारीगरों के ज्ञान और हुनर पर हो।  
  4. कारीगर-समाज में अपने ज्ञान और हुनर की तालीम देने और इसमें इजाफा करने की पूरी क्षमतायें हैं।  शिक्षा-प्रशिक्षण के कार्यक्रमों और संस्थाओं में कारीगरों की इन क्षमताओं को सरकार द्वारा सुनिश्चित स्थान  दिया जाना चाहिए। 
  5. कारीगरों के सामने बाजार की अनिश्चितता का बड़ा संकट है।  उन्हें कच्चा माल  सस्ता मुहैया करने और उनके उत्पादन की खरीद लाभकारी मूल्यों पर होने की व्यवस्था पक्की की जाये।  


कारीगर नजरिया
एहसान अली
प्रेमलता सिंह