लोकविद्या आंदोलन के दो प्रमुख साथी नहीं रहे।
लोकविद्या जन आंदोलन के बिहार संयोजक, दरभंगा के साथी विजय कुमार की 30 नवम्बर 2014 को मुग़लसराय स्टेशन पर रेल से दुर्घटना में मृत्यु हो गयी।
विद्या आश्रम समिति के सदस्य व भारतीय किसान यूनियन के वाराणसी मंडल के अध्यक्ष जगदीश सिंह यादव की लम्बी बीमारी के बाद 22 दिसंबर 2014 को मृत्यु हो गयी।
दोनों के ही चले जाने से लोकविद्या आंदोलन को गंभीर क्षति हुई है।
विजय कुमार अपने विद्यार्थी जीवन से ही 1970 के दशक के जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले बिहार आंदोलन से सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक लोकजीवन और लोकहित के दृष्टिकोण से पानी के सवाल पर दखल लिया और लोगों को एकजुट करने के साथ ही सरकार की जन विरोधी नीतियों का सतत विरोध किया। बराबर गरीबी में जीवनयापन किया लेकिन वैचारिक प्रश्नों पर तथा व्यावहारिक क़दमों में भी कभी समझौता नहीं किया। हमारा उनसे परिचय 2011 में हुआ। तब से वे बिहार में लोकविद्या जन आंदोलन को आकार देने में तथा लोकविद्या के सभी जगहों के कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। बिहार के साथी उनकी स्मृति और परिवार के लिए सहयोग की दृष्टि से एक बैठक दरभंगा में और एक पटना में कर चुके हैं। दो निकट के साथी चंद्रवीर नारायण और सुनील कुमार मंडल अगले सप्ताह वाराणसी आएंगे, तब हम लोग लोकविद्या जन आंदोलन की ओर से विजय कुमार की स्मृति में, उनके परिवार को आर्थिक सहयोग के लिए और बिहार में लोकविद्या आंदोलन आगे बढ़ाने के लिए क्या किया जाये इस पर विचार करेंगे और कुछ निर्णय लेंगे।
जगदीश सिंह यादव भारतीय किसान यूनियन के जुझारू और समझदार नेता के रूप में जाने जाते रहे। वाराणसी के क्षेत्र में पिछले 20 वर्ष किसान संघर्षों को खड़ा करने में उनकी अहम् भूमिका रही। हमारा उनसे परिचय 1997 में किसान संघर्षों के दौरान और लोकविद्या महाधिवेशन की तैयारी के सिलसिले में हुआ। तब से उन्होंने वाराणसी से संचालित लोकविद्या के सभी कार्यों में पूरा सहयोग किया और यहाँ के लोकविद्या कार्यकर्ताओं ने भारतीय किसान यूनियन की सारी गतिविधियों में उनका पूरा साथ दिया। 26 दिसंबर 2014 को भारतीय किसान यूनियन ने उनके गाँव के पास यूनियन के केंद्रीय स्थल गंगाजी के किनारे भूपौली पम्प कैनाल पर उनकी स्मृति में एक कीर्ति सभा का आयोजन किया। सालों के किसान संघर्षों के साथी इकठ्ठा हुए और उनके बारे में तथा यूनियन के आगे के क़दमों पर बात की। दो फैसले लिए गए। भूपौली में यूनियन उनकी एक प्रतिमा की स्थापना करेगा और उनकी स्मृति में तथा नए कार्यकर्ताओं की जानकारी के लिए उनके सभी साथियों के सहयोग से उनके बारे में एक पुस्तक बनायीं जाएगी। ये दोनों काम एक साल के अंदर पूरे किये जायेंगे।
27 दिसंबर 2014 की दोपहर को विद्या आश्रम के चिंतन ढाबा पर उनकी स्मृति में एक बैठक की गयी। स्थानीय साथी उपस्थित थे। लोकविद्या सत्संग के बोल गाये गए। भूपौली में हुए उपरोक्त दोनों फैसलों से सबको अवगत कराया गया। यह बात भी हुई की जनवरी माह में विद्या आश्रम पर किसान यूनियन की एक बड़ी पंचायत की जाये। यह पंचायत जगदीश सिंह यादव की स्मृति में होगी और उसमें आगे के कार्यों तथा उनके संयोजन पर बातचीत की जाएगी।
27 दिसंबर 2014 की दोपहर को विद्या आश्रम के चिंतन ढाबा पर उनकी स्मृति में एक बैठक की गयी। स्थानीय साथी उपस्थित थे। लोकविद्या सत्संग के बोल गाये गए। भूपौली में हुए उपरोक्त दोनों फैसलों से सबको अवगत कराया गया। यह बात भी हुई की जनवरी माह में विद्या आश्रम पर किसान यूनियन की एक बड़ी पंचायत की जाये। यह पंचायत जगदीश सिंह यादव की स्मृति में होगी और उसमें आगे के कार्यों तथा उनके संयोजन पर बातचीत की जाएगी।
विजय कुमार और जगदीश सिंह दोनों ही की आयु 60 वर्ष से कम थी। दोनों अपने कार्यों में और समाज में नैतिक प्रतिबद्धताओं से विचलित न होने और नैतिक कसौटियों को हमेशा इस्तेमाल करने वालों के रूप में जाने जाते थे। इनकी स्मृति हम सबको अपने पथ से न डिगने की ताकत देती रहेगी।
विद्या आश्रम