Wednesday, November 18, 2015

वाराणसी में किसान कारीगर पंचायत 15 -16 नवम्बर 2015

वाराणसी में 15 नवम्बर की शाम गंगाजी के तट पर भैंसासुर घाट पर किसान कारीगर इकट्ठा हुए, लोकविद्या सत्संग किया गया और उसके बाद बैनर्स और प्ले-कार्ड्स के साथ जुलूस बनाकर शहर के मध्य में  मैदागिन स्थित टाऊन हॉल तक गए और गांधी - कस्तूरबा प्रतिमा के सामने एक सभा का रूप ले लिए।  उत्तर प्रदेश के वाराणसी, चंदौली, जौनपुर,  संत रविदास नगर ( भदौही ) और मध्य प्रदेश के सिंगरौली, इंदौर और अन्य ज़िलों से लगभग 200 की संख्या में किसान और कारीगर समाज के स्त्री-पुरुष शामिल हुए।  दूसरे दिन भैंसासुर घाट पर पंचायत का आयोजन हुआ।

किसान-कारीगर पंचायत की शुरुआत लोकविद्या गायकी के साथ हुई।  दिलीप कुमार ने पंचायत के विषय को खोलकर रखा।  लोकविद्या समाज की एकता की अनिवार्यता को जताते हुए पंचायत की अध्यक्षता के लिए लोकविद्या समाज के पाँच ज्ञानियों को आमंत्रित किया गया - किसान समाज से संत रविदास नगर के रामकिशोर बरनवाल, कारीगर समाज से वाराणसी के एहसान अली, आदिवासी समाज से इंदौर के शेरसिंह , छोटे दुकानदार समाज से चिंतामणि सेठ और स्त्री समाज से चित्रा सहस्रबुद्धे।  भारतीय  किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश के महासचिव घनश्याम वर्मा मुख्य अतिथि रहे। यह पंचायत किसान व कारीगर समाजों के ज्ञान आंदोलन का उद्घाटन करती है  यह घोषित कर नीचे दर्शाये गए बिल्ले को लगाकर सभी  भागीदारों का स्वागत किया गया।


पंचायत और सभा को सिंगरौली से लक्ष्मीचंद दुबे, जौनपुर  से राजनाथ यादव, चंदौली से गणेश पाण्डेय, जीतेन्द्र तिवारी, मिर्ज़ापुर से सिद्धनाथ सिंह, प्रह्लाद , प्रेमचंद गुप्ता, वाराणसी से प्रेमलता सिंह, रविशेखर, मुनीज़ा खान, मो. अहमद  आदि ने सम्बोधित किया।


"लोकविद्या के स्वामी बोल - ज्ञान के अपने दावे ठोक  " 
की हुंकार के साथ पंचायत की शुरूआत  हुई 



लोकविद्या समाज की एकता का प्रतीक - पांच खम्भों की मड़ई को बीच में रख कर लोकविद्या सत्संग हुआ।  पाँच खम्भे क्रमशः किसान, कारीगर, आदिवासी, महिलाएं और छोटे दुकानदारों के ज्ञान का प्रतीक  हैं।  




पंचायत का उदघाटन - किसान और कारीगर संगठनों के प्रतिनिधि 



 शहर के मध्य से गुजरते जुलूस के फोटो 




टाउन हॉल गांधी- कस्तूरबा प्रतिमा के सामने की सभा को सम्बोधित करते लक्ष्मण प्रसाद 



16 नवम्बर को भैंसासुर घाट पर किसान कारीगर पंचायत में
 हर परिवार में सरकारी कर्मचारी के बराबर आय का मुद्दा स्पष्ट करते हुए दिलीप कुमार



लोकविद्या समाज की एकता पर बोलती प्रेमलता सिंह 



इस पंचायत में सभी ने कहा की देश में किसानों और कारीगरों की आय लगातार घटती जा रही है और जीवन की आवश्यकताओं को जुटाना कठिन होता जा रहा है।  यह किसान- कारीगर पंचायत एक आवाज़ में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित करती है - 
  1. हर किसान और कारीगर परिवार की आय वही होनी चाहिए जो सरकार अपने कर्मचारियों को देती है।  यह पक्का और सुनिश्चित करना सरकार की ज़िम्मेदारी है। 
  2. गाँव - गाँव  और बस्तियों में लोकविद्या ज्ञान-पंचायत का आयोजन कर इस आवाज़ को बुलंद किया जायेगा।  ये ज्ञान पंचायतें एक ज्ञापन बनाएंगी और अपने क्षेत्र के विधायक और सांसद  को देंगी व उनसे  इस पर कार्यवाही का आग्रह करेंगी।  
  3. लोकविद्या के बल पर जीवन का सुचारू सञ्चालन यह हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, इसे कोई नहीं छीन सकता।  इसके लिए हर गांव और बस्ती में एक रजिस्टर बने, जिसमें जिसको जो काम आता है उसका पंजीयन हो, ताकि वह ज्ञानकार्य के बल पर जीवनयापन का दावा कर सके।  
  4. हर साल शरद पूर्णिमा (महीना क्वार/अश्विन) के दिन वाराणसी में गंगाजी के तट पर भैंसासुर घाट पर किसान कारीगर पंचायत होगी।  
विद्या आश्रम

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