इंदौर के मिल क्षेत्र में मिल मज़दूर और कर्मचारियों की संतानों ने लोकविद्या जन आंदोलन की पहल पर एक ज्ञान-पंचायत का आयोजन किया है। यह ज्ञान-पंचायत इस अमावस को यानि 11 दिसंबर 2015 को शाम 5 बजे मिल क्षेत्र के शिवाजी नगर में होगी।
यह ज्ञान-पंचायत इस सवाल को लेकर है कि इंदौर में कपडे की मिलें बंद हुए अब कई साल हो चुके हैं , ऐसे में मिलों की खाली पड़ी ज़मीनों का लोकहित में अब क्या उपयोग होना चाहिए ?
इंदौर में करीब 10 -12 कपड़ा मिलें थीं जो इंदौर के होल्कर राजाओं के राज में 19 वीं सदी में स्थापित हुई थीं। उस दौरान महाराष्ट्र , उत्तर प्रदेश और राजस्थान से बड़ी संख्या में मज़दूर आये और यहाँ बसाये गए। 20 वीं सदी के अंतिम दशकों में एक एक कर ये मिलें बंद हो गयी। मिल मालिकों में से कुछ ने मज़दूरों का बकाया दिया कुछ ने नहीं दिया लेकिन इन मज़दूरों की बड़ी बड़ी बस्तियां आज भी यहाँ हैं और बंद पड़ी मिलों की ज़मीनें बेकार पड़ी हैं। मज़दूरों की संतानें दिहाड़ी कमाई पर छोटे मोटे काम कर अपने परिवार चला रहे हैं।
लोकविद्या जन आंदोलन की ओर से इन बस्तियों में कई ज्ञान-पंचायतें की गयी हैं और यह बात उभर कर आई हैं कि इन इलाकों के लोग, महिला - पुरुष, सभी ज्ञानी हैं, तरह तरह के हुनर और सोच के मालिक हैं। इन ज़मीनों पर ऐसे कार्य संयोजित किये जाये जिनमें इन लोगों की ज्ञान आधारित पहल के लिए मौका हो और वे अपने ज्ञान पर के बल पर संगठित कर सकें।
संजीव
लोकविद्या समन्वय समूह
यह ज्ञान-पंचायत इस सवाल को लेकर है कि इंदौर में कपडे की मिलें बंद हुए अब कई साल हो चुके हैं , ऐसे में मिलों की खाली पड़ी ज़मीनों का लोकहित में अब क्या उपयोग होना चाहिए ?
इंदौर में करीब 10 -12 कपड़ा मिलें थीं जो इंदौर के होल्कर राजाओं के राज में 19 वीं सदी में स्थापित हुई थीं। उस दौरान महाराष्ट्र , उत्तर प्रदेश और राजस्थान से बड़ी संख्या में मज़दूर आये और यहाँ बसाये गए। 20 वीं सदी के अंतिम दशकों में एक एक कर ये मिलें बंद हो गयी। मिल मालिकों में से कुछ ने मज़दूरों का बकाया दिया कुछ ने नहीं दिया लेकिन इन मज़दूरों की बड़ी बड़ी बस्तियां आज भी यहाँ हैं और बंद पड़ी मिलों की ज़मीनें बेकार पड़ी हैं। मज़दूरों की संतानें दिहाड़ी कमाई पर छोटे मोटे काम कर अपने परिवार चला रहे हैं।
लोकविद्या जन आंदोलन की ओर से इन बस्तियों में कई ज्ञान-पंचायतें की गयी हैं और यह बात उभर कर आई हैं कि इन इलाकों के लोग, महिला - पुरुष, सभी ज्ञानी हैं, तरह तरह के हुनर और सोच के मालिक हैं। इन ज़मीनों पर ऐसे कार्य संयोजित किये जाये जिनमें इन लोगों की ज्ञान आधारित पहल के लिए मौका हो और वे अपने ज्ञान पर के बल पर संगठित कर सकें।
संजीव
लोकविद्या समन्वय समूह
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