Tuesday, April 23, 2019

कारीगर किसान पंचायत, वाराणसी


      वाराणसी में शनिवार, 20 अप्रैल 2019 को दोपहर 1 से 4 बजे के बीच पराड़कर भवन, मैदागिन में एक कारीगर-किसान पंचायत का आयोजन हुआ. करीब सौ लोगों की भागीदारी में इस पंचायत ने प्रमुखरूप से ज्ञान की बराबरी और आय की बराबरी का दावा किया.


कारीगर, किसान, हर तरह के मिस्त्री, तरह-तरह की सेवा देने वाले, मरम्मत और रख-रखाव का काम करने वाले, छोटी पूँजी से धंधा करने वाले, पटरी और ठेले वाले और इन सबके घरों की स्त्रियाँ, ये सभी अपने सब काम अपने ज्ञान (लोकविद्या) के बल पर करते हैं. यह कारीगर-किसान पंचायत यह दावा पेश करती है कि इन सबका ज्ञान विश्वविद्यालय के ज्ञान से कम नहीं आँका जा सकता और यह कि इन्हें भी वैसी ही आय का हक़दार माना जाना चाहिए जैसी आय एक सरकारी कर्मचारी की होती है. वक्ताओं ने कारीगरों और किसानों के ज्ञान के विविध पक्षों को उजागर किया और कहा कि इनका ज्ञान विश्वविद्यालय के ज्ञान से अलग होता है. इसके मूल्य, संगठन के तरीके, तर्क के विधान, समाज और प्रकृति से रिश्ते, ये सभी अलग होते हैं. इसी ज्ञान के बल पर समाज की तमाम आवश्यकताएं पूरी की जाती हैं. यह ज्ञान व्यवहार और सिद्धांत दोनों ही स्तरों पर विश्वविद्यालय के ज्ञान से कम नहीं होता. ज्ञान के क्षेत्र में ऊँच-नीच में सामाजिक और आर्थिक ऊँच-नीच पैदा करती है.
 
2019 के आम चुनावों में भाग ले रही सभी पार्टियों और उम्मीदवारों से इस पंचायत की दरख्वास्त है कि खैरात नहीं, इमदाद नहीं, न्यूनतम आय नहीं, गरीबी और मज़दूरी की बात नहीं, बल्कि बात पक्की और नियमित आय की है क्योंकि बात ज्ञान और बराबरी की है.

दुनिया के खुशहाल देशों में शुमार होने के लिए और सबके प्रति न्याय के लिए यह ज़रूरी है कि समाज में प्रचलित हर तरह के ज्ञान को अपना योगदान देने के पूरे मौके मिलें. बराबरी का सम्मान और बराबरी की आय से ही ये मौके तैयार होते हैं. लोकविद्या किसी भी समाज की सबसे बड़ी शक्ति होती है. उसे पहचानो, बराबरी का सम्मान दो, यही हमारी प्रगति का रास्ता है. जज़्बे और इज़ाफे से काम करने के लिए आर्थिक और सामाजिक बराबरी अनिवार्य है. बराबर की आय की मांग इसी शर्त को पूरा करने की तरफ एक कदम है.

काशी के वरिष्ठ समाजवादी चिन्तक विजय नारायण, बुनकरों के नेता अब्दुल हमिद अंसारी, करसडा के किसान संघर्ष की नेता लालती देवी, ग्राम सेवा संघ, बंगलुरु के अभिलाष और लोकहित सृजन समिति सिंगरौली के अवधेश कुमार और सुनील सहस्रबुद्धे, ये सब इस पंचायत के अध्यक्ष मण्डल के सदस्य थे. लक्ष्मण प्रसाद और फ़ज़लुर्रहमान अंसारी ने पंचायत का विचार और प्रस्ताव सबके सामने रखा और पंचायत का सञ्चालन किया. बोलने वालों में प्रमुख रहे -- सुनील सहस्रबुद्धे, विजय नारायण, मोबिन अहमद अंसारी, इदरिस अंसारी, अब्दुल मतीन अंसारी, मुहम्मद अहमद, महेंद्र प्रताप मौर्य, जितेन्द्र तिवारी, रामजनम, लालती देवी, जाग्रति, बाबूलाल मौर्य, रणधीर सिंह, महेंद्र यादव इत्यादि. बंगलुरु से ग्राम सेवा संघ के अभिलाष और सिंगरौली के आदिवासी किसान एकता संगठन से लक्ष्मीचंद दुबे ने अपनी बात रखी.

लोकविद्या जन आन्दोलन (लक्ष्मण प्रसाद 9026219913), कारीगर नज़रिया, (एहसान अली),    भारतीय किसान यूनियन(वाराणसी मण्डल अध्यक्ष जितेन्द्र तिवारी), अंसारी एकता संगठन (फ़ज़लुर्रहमान अंसारी 7905245553), बुनकर दस्तकार अधिकार मंच (इदरिस अंसारी), बुनकर दस्तकार मोर्चा (मोबिन अहमद), गांधी विद्या संस्थान कर्मचारी परिषद (गोरखनाथ यादव ) और स्वराज अभियान (रामजनम) के समर्थन में विद्या आश्रम, सारनाथ ने इस पंचायत को आयोजित किया.

विद्या आश्रम 





Wednesday, April 10, 2019

कारीगर नजरिया

मार्च 2019 से एक अंतराल के बाद 'कारीगर नजरिया' फिर से छपना शुरू हुआ है. फिलहाल आगामी लोकसभा चुनाव के ठोस सन्दर्भों के चलते बहस की ज़रूरतों को ध्यान में रखा गया है. जिन विषयों को सामने रखा गया हैं वे हैं -- ज्ञान, आय और रोज़गार ; बौद्धिक सम्पदा, प्रगति के मानक और जलवायु ; सामाजिक न्याय संघर्ष के आगे के कदम, स्वराज का विचार और वास्तविक सम्भावनायें , सामाजिक और राजनैतिक नेतृत्व से वार्ता व लोकविद्या जन आंदोलन की रिपोर्टिंग, जिसमें ज्ञान पंचायतों की प्रक्रिया और सबकी पक्की आय के दावे प्रमुख हैं.

मार्च के अंक में कारीगर और किसान देश का अजेंडा बनाएं इस पर ज़ोर दिया गया है. सब्सिडी और खैरात से एकदम अलग, गरीबी और मज़बूरी से दूर हटकर ज्ञान पर आधारित आय को जायज़ बताते हुए वस्तुपरक तर्क प्रस्तुत किये गए हैं, तथा इस सन्दर्भ में स्वराज के ज्ञान आधार पर चर्चा है. अविरल निर्मल गंगाजी के लिए साधुओं के त्याग भरे संघर्ष को समर्थन दिया गया है। 

'कारीगर नजरिया' का छठा अंक अप्रैल ,  2019  का  है.  इसमें स्थानीय कारीगरों और राजनीतिक नेताओं से ‘सबकी पक्की और नियमित आय’ के सवाल पर की गई वार्ता को स्थान दिया गया है. इसके अलावा इस प्रश्न को एक बड़े घेरे में भी रखा गया है जिसके अन्तर्गत पूँजी और संपत्ति के प्रश्न पर बहस के लिए एक पहल की गई है और आय की सुरक्षा को ‘शहरीकरण कैसा हो’, महानगरों की तुलना में कस्बाई प्रवृत्ति का हो, इससे जोड़ा गया है.

अप्रैल अंक का  लिंक है: http://www.vidyaashram.org/papers/Karigar%20Najariya-ank-6-April-2019.pdf


मार्च अंक का लिंक है: http://www.vidyaashram.org/papers/Karigar%20Nazaria.pdf-ank-5-Mar-2019.pdf