वाराणसी ज्ञान पंचायत की पहल : लोकनीति-संवाद
लोक और लोकनीति के समकालीन अर्थ की खोज में वाराणसी ज्ञान पंचायत की ओर से लोकनीति-संवाद की एक श्रृंखला चली. पहला लोकनीति-संवाद 11 अक्तूबर 2022 से चलाया जा रहा है. वाराणसी नगर निगम के चुनाव नवम्बर-दिसंबर में होने जा रहे हैं, इस मौके पर यह संवाद चलाना प्रासंगिक मालूम हुआ. प्रत्येक गुरुवार और रविवार को क्रमश: राजघाट और अस्सीघाट पर लोकविद्या सत्संग के साथ यह संवाद चलाया जाता है. संवाद की अब तक दस कड़ियाँ हो चुकी हैं. हर कड़ी में दो-तीन वक्ता आमंत्रित किये जाते रहे हैं.
लोकनीति : लोकनीति के मायने प्रकृति के साथ
तालमेल में जीवन गढ़ने के प्रकारों में हैं. इसी में जीवन और समाज के नैतिक उत्थान
और विकास का रास्ता है. लोकनीति में सम्पूर्ण लोक के खुशहाली की नीतियाँ निहित है
जबकि राजनीति मात्र कुछ ही लोगों के स्वार्थ की सेवा करती रही है. ऐसे में लोकनीति
को मज़बूत करना आवश्यक है. लोकनीति के बल पर ही राजनीति को मर्यादित करने के रास्ते
खुलते हैं. सामान्य लोगों के पास ज्ञान होता है और इनके ही जीवन में समकालीन नैतिक
मूल्य भी पलते हैं. इन्हीं के बल पर लोकनीति को गढ़ा जा सकता है.
लोकनीति-संवाद का उद्देश्य : समाज में
ज्ञान की उन विविध धाराओं को,
जो लोकहित में हैं, जीवंत
हैं, नैतिक
शक्तियों को बल प्रदान करती हैं,
उन्हें पहचानना और समाज के बीच लाना इस संवाद का उद्देश्य है. इस दिशा में अभी
तक आठ कड़ियों में जिन विषयों पर संवाद हुए हैं, उनमें प्रमुख हैं--- लोकनीति बनाम राजनीति, स्थानीय
निकायों की नगर और नागरिकों के प्रति ज़िम्मेदारी, लोकविद्या और लोकनीति के बीच अन्योन्याश्रित रिश्ता, नगर विकास और
व्यवस्थाओं में विविध ज्ञान-धाराओं के समावेश का आग्रह, नगर की नैतिक
विरासत और दर्शन, गाँव-शहर
के बीच सम्बन्ध, नगर
का धार्मिक-सामाजिक-आर्थिक ताना-बाना,
जैसे विषयों की वैचारिकी के प्रकाश में नगर का पर्यावरण, गंगाजी और
घाटों की स्वछता और रखरखाव,
मल्लाहों और नाविकों के विस्थापन का सवाल, नगर में ऑटो चालकों की परेशानियाँ, सीवर और कूड़े
का निस्तारण आदि जैसे दैनिक जीवन की महत्वपूर्ण समस्याओं के प्रति सभासद की
जिम्मेदारियों पर संवाद को गति मिली.
वक्ता : कारीगर नजरिया की
प्रेमलता सिंह,
भारतीय किसान यूनियन के नगर अध्यक्ष कृष्ण कुमार क्रांति, राजघाट के
नाविक दुर्गा प्रसाद सहनी, ऑटो
चालक यूनियन के अध्यक्ष ज़ुबेर खान,
पर्यावरण रखरखाव स्वयंसेवी संगठन के रवि शेखर और एकता शेखर, दिल्ली
विश्वविद्यालय के शोध छात्र पुनीत,
वार्ड 63 के सभासद उम्मीदवार फ़ज़लुर्रहमान अंसारी, काशी
हिन्दुविश्वविद्यालय के छात्र प्रत्यूष,
‘गाँव के लोग’ पत्रिका के संपादक रामजी सिंह, गाँधी विद्या संस्थान संकाय सदस्य और रजिस्ट्रार डॉ. मुनीज़ा
खान, दर्शन
अखाड़ा के संयोजक गोरखनाथ,
सलारपुर से बौद्ध विचारक महेंद्र प्रताप मौर्य, छित्तनपुरा के बुनकर एहसान अली, अस्सी घाट के
निषाद देशराज , माँ
गंगाजी निषाद सेवा समिति के हरिश्चंद्र बिन्द, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता अरुण कुमार, चंदवक के
विद्या आश्रम के सदस्य विनोद कुमार,
भारतीय किसान यूनियन के वाराणसी जिला अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद, नाटीइमली के
बुनकर मोहम्मद अहमद, रामनगर
कालेज की अध्यापिका डॉ. चटर्जी,
डॉ. पारमिता, वरिष्ठ
पत्रकार सुरेश प्रताप सिंह प्रमुख रहे हैं. प्रत्येक संवाद में स्थानीय लोग शामिल
होते रहे हैं.
वाराणसी ज्ञान पंचायत की ओर से चित्रा सहस्रबुद्धे और
रामजनम ने सञ्चालन किया और लक्ष्मण प्रसाद,
फ़ज़लुर्रहमान और हरिश्चंद्र बिन्द ने संवाद को स्थानीय समाजों के नज़रिये के साथ
तराशा और निखारा. लोकनीति संवाद का क्रम आगे भी जारी रहेगा.
इस संवाद के साथ ही सुर साधना पत्रिका के दो अंक भी प्रकाशित हुए.
चित्रा सहस्रबुद्धे
विद्या आश्रम
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