विद्या आश्रम और वाराणसी ज्ञान पंचायत के संयुक्त प्रयास से 2 अगस्त 2022 को एक
स्वराज ज्ञान पंचायत का आयोजन हुआ. विद्या
आश्रम स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित इस ज्ञान पंचायत में किसान यूनियन के नेताओं
व कारीगरों के आलावा सामाजिक कार्यकर्त्ता, छात्र और नौजवानों की भागीदारी हुई.
ज्ञान पंचायत शुरू होने के पहले लोकविद्या सत्संगके गायकों ने लोकविद्या के
पद गाकर लोकविद्या और किसान तथा कारीगर
समाजों को ज्ञानी समाजों के रूप में प्रतिष्ठित किया.
स्वराज ज्ञान पंचायत की शुरुआत विद्या आश्रम द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘न्याय,
त्याग और भाईचारा: किसान आन्दोलन और भावी समाज दृष्टि’ के विमोचन के साथ हुई. वाराणसी
और आस-पास जिलों के किसान यूनियन के नेता और वाराणसी के कार्यकर्त्ता अच्छी संख्या
में उपस्थित थे. पुस्तक का विमोचन भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष
श्री राजपाल शर्मा ने किया.
उन्होंने अपने वक्तव्य में केन्द्र सरकार को घोर किसान विरोधी बताते हुए कहा कि वे किसान आन्दोलन के चलते किसानों के साथ हुए हर समझौते और आश्वासन के खिलाफ जा रहे हैं. एम.एस.पी. की लड़ाई को केन्द्रीय महत्त्व का बनाते हुए संगठन और संघर्ष पर विशेष जोर दिया. साथ में उपस्थित राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश यादव का भी सहृदय और तर्कपूर्ण भाषण सुनने को मिला.
श्री सुनील सहस्रबुद्धे ने कहा कि पुस्तक किसान आन्दोलन का सन्देश बताती है. पुस्तक में जिन लोगों के लेख हैं वे सब पूरी ज़िन्दगी किसान आन्दोलन में रहे हैं और इस आस्था के लोग
हैं कि किसानों के नेतृत्व में ही एक सभ्य समाज का निर्माण हो सकेगा.उन्होंने पुस्तक के नाम में न्याय, त्याग औरभाईचारा का विशेष महत्त्व रेखांकित किया है और बताया कि इन्हीं विचारों के अंतर्गत किसानों ने भारत की संत परंपरा को जिंदा रखा है. मूल सन्देश यही है कि इन विचारों में एक सभ्य समाज का आधार है, जिसका निर्माण किसान भारत की ज्ञान और तर्क परंपरा के जरिये करेगा, जो उसमें रची-बसी है.
भोजन के पहले के सत्र में चर्चा का विषय रहा ‘हर किसान परिवार की आय सरकारी कर्मचारी जैसी होनी चाहिए’. इसका सैद्धांतिक आधार यह बताया गया कि किसान ज्ञानी है और उसका ज्ञान विश्वविद्यालय की विद्या से कमतर नहीं है. इसलिए उसके ज्ञान से होने वाले कामों में भी वही आय होनी चाहिए जो विश्वविद्यालय की डिग्री से मिलने वाली नौकरियों में होती हैइस सत्र के मुख्य वक्ता रहे -लक्ष्मण प्रसाद, भाकियू अध्यक्ष वाराणसी जिला, राजेश आज़ाद, संयोजक संयुक्त किसान मोर्चा आजमगढ़ (उ.प्र.) और फ़ज़लुर्रहमान अंसारी, संयोजक बुनकर साझा मंच. लक्ष्मण प्रसाद ने किसान के ज्ञान के विभिन्न आयामों को सामने लाया और बताया कि किसतरह इसके तिरस्कार और शोषण से वर्तमान सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाएं संचालित होती हैं.
राजेश आज़ाद ने विषय को महत्वपूर्ण मुद्दा कहकर इसका पुरजोर समर्थन किया साथ ही किसान समाज के अंतर्गत ही गरीब किसानों और खेतिहर मज़दूरों की परिस्थितयों और शोषण की ओर ध्यान आकर्षित किया, जबकि फ़ज़लुर्रहमान अंसारी ने किसान के ज्ञान की तरह ही कारीगर के ज्ञान की व्याख्या की और हर कारीगर परिवार के लिए भी सरकारी कर्मचारी जैसी आय होने के लिया सुसंगत तर्क प्रस्तुत किये.
दोपहर के सत्र में विषय था – ‘किसान-नौजवान एकता में स्वराज के सूत्र हैं’. सत्र का सञ्चालन पारमिता ने किया और स्वराज अभियान के रामजनम ने विषय प्रवेश किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों की आय और नौजवानों के लिए रोज़गार दोनों ही सवालों का हल चल रही व्यवस्था में नहीं हो सकेगा और यह कि एक नए राजनैतिक और आर्थिक ढांचे का विचार बनाना पड़ेगा जिसमें इन दोनों सवालों का हल हो. यह राजनैतिक-आर्थिक ढांचा स्वराज के नाम से जाना जा सकता है.
वर्तमान के किसान आन्दोलन और नौजवानों के रोज़गार आन्दोलन की आपसी दोस्ती को केवल फौरी न मान कर इस नज़र से देखा जाए तो स्वराज के सूत्र खोजने में मदद हो सकती है. इस सत्र के प्रमुख वक्ता रहे- धनञ्जय त्रिपाठी, बीएचयू, संयोजक, ज्वाइंट एक्शन कमिटी, हरिश्चंद्र बिन्द,राष्ट्रीय महासचिव, माँ गंगा निषाद सेवासमिति, और इप्शिता, भगत सिंह छात्र मोर्चा, बीएचयू. गोष्ठी का समापन वरिष्ठ समाजवादी चिन्तक और विद्या आश्रम के मित्र श्री विजयनारायण ने किया. उन्होंने कहा कि वार्ता बहुत अच्छी हुई है, कुछ स्पष्ट निर्णय कीजिये और आगे बढ़ें.
ज्ञान पंचायत का अंत इस उद्घोष के साथ हुआ कि
"राजपाल तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं."
आशा है कि विश्वविद्यालय के छात्र, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं और किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं की यह संयुक्त उपस्थिति और चर्चा, देश और समाज के भविष्य पर विमर्श के नए द्वार खोल सकती है. विद्या आश्रम स्वराज ज्ञान पंचायत की अगली कड़ियाँ बनाने के प्रयास में रहेगा.
---विद्या आश्रम
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