Thursday, June 12, 2014

जन संघर्षों में एकता की पहल


7 -8 जून 2014 की बैठक की संक्षिप्त रिपोर्ट
विद्या आश्रम ,सारनाथ वाराणसी, उ0प्र0

जन संघर्षों में एकता की पहल विषय पर 7 -8 जून 2014 को एक बैठक विद्या आश्रम ,सारनाथ वाराणसी, उ0प्र0 में आयोजित की गयी थी, जिसमे उत्तर प्रदेश ,बिहार ,मध्य प्रदेश व दिल्ली के करीब 50 साथिओं ने भाग लिया था। इस बैठक की पहल विद्या आश्रम और संघर्ष 2014 ने किया  और इसकी परिकल्पना वाराणसी में चुनाव अभियान के आख़री दिन 10 मई को की गयी थी । वाराणसी और आसपास की क्षेत्र में आम चुनाव के दरमियान संघर्ष 2014 द्वारा शुरू की गयी 15 दिन व्यापी अभियान में कई संगठनों,समुदायों  और व्यक्तिओं के साथ कंपनी राज व अन्य बुनियादी मुद्दों पर नियमित चर्चा चलती रही जो की चुनाव के समय में भी और चुनाव बाद की परिस्थिति के लिए प्र्रसांगिक हैं । हालांकि मुख्य पार्टियां उन मुद्दों पर कोई ठोस चर्चा नही कर रहें थे। उसी माहौल में ही यह तय किया गया था की इस चर्चा की प्रक्रिया को चुनाव के बाद की स्थिति में भी आगे ले जाना होगा और एक निष्कर्ष निकालकर कोई सामूहिक कार्यक्रम भी शुरू करना होगा ।  इस प्रक्रिया को आगे ले जाने के लिए मुख्य रूप से तीन संगठनो की सहमति बनी थी ।  संघर्ष 2014 की मुख्य आधार धरती माँ की सुरक्षा है, और विद्या आश्रम के लिए लोक विद्या प्रणाली को स्थापित करना तथा युवा भारत आम आदमी पार्टी की एवं जन-राजनैतिक प्रक्रिया में प्रभावी हस्तक्षेप करना है ।  इन बहुआयामी उद्देश्यों को एक खाका में लाने के लिए जनप्रयासों को मजबूत करने हेतु  व्यापक और बिस्तृत चर्चा की जरुरत सभी ने महसूस किया था और इस प्रक्रिया को आगे चलाने की निर्णय लिया गया था। इसी जरूरत के अनुसार 7 -8 जून 2014 की बैठक तय की गयी थी जिसमे विभिन्न्न क्षेत्रों में कार्यरत कार्यकर्तागण व समुदायों की प्रतिनिधिगण ने भाग लिया । 
बैठक में पहला मुद्दा चुनाव परिणाम और उसके बाद की स्थिति का विश्लेषण रहा जिसपर लगभग सभी साथी ने गंभीरता के साथ अपने अपने  विचार रखे । कुछ साथिओं ने इस पर कुछ महत्तपूर्ण सुझाव भी रखे । यह चर्चा काफी लम्बी रही व दिन भर चली जिसके बाद कुछ ठोस निष्कर्ष भी निकले । उल्लेखनीय बात ये थी की कोई भी साथी मौजदा हालत के दबाव  में नही हंै बल्कि व्यवस्था से लड़ने के लिए उत्साहित हंै । ये बाते सामने आई की मौजूदा सरकार बड़े बड़े देशी विदेशी कंपनियों के दबाव में हैं, और इन्हीं के फायदे के लिए काम भी करेगी । इसी लिए अब संघर्ष सीधा पूंजीवादी और प्रभुत्ववादी शक्तिओं के साथ है। और यह संघर्ष जनांदोलनों और जनसंगठनों को ही मुख्य रूप से लड़ना होगा । क्योंकि मौजूदा मुख्य राजनैतिक पार्टियां अब पूंजीवादी ताकतों के खिलाफ नही लड़ सकती ,ऐसे संघर्ष के लिए उनके संगठोनों में ताकत नही है और न ही जनसमुदायों  के  साथ उनका कोई सीधा राजनैतिक सम्बन्ध है। बल्कि ये सारी पार्टियां बिचैलियों के ज़रिये से काम करती हैं । राजनैतिक नेतृत्व के साथ लोगों का कोई सीधा रिश्ता नही है । लिहाजा  पूंजीवादी और प्रभुत्ववादी शक्तिओं के खिलाफ निर्णायक संघर्ष संगठित जनपहल से ही हो सकती है । इस निर्णायक संघर्ष को ज़मीनी स्तर  पर और वैचारिक स्तर पर भी लड़ना होगा। ये पूंजीवादी शक्ति भी पुराने तरीके से नही चल रही है नए नए तरीका इस्तेमाल कर रहे  हैं इसीलिए इन शक्तिओं के खिलाफ संघर्ष भी पुराने तरीके से नही लड़ा जा सकता है । नए तरीके का इजाफा करना होगा जिसके लिए नई राजनैतिक  आयाम  भी तैयार करना होगा । भूमंडलीकरण ,नवउदारवादी राजनैतिक अर्थशास्त्र के चलते आज पूंजी आधारित विकास मॉडल को ही अनिवार्य माना जा रहा है और तमाम सरकारी और बौद्धिक संस्थानें इससे ग्रस्ति है । इसके पलट में वैकल्पिक व्यवस्था का स्वरुप तैयार करना होगा जो श्रम और  लोक विद्या आधारित ज्ञान सम्पदा  पर आधारित होगा । जबकि आज श्रम पूंजी के कब्जे में है और लोक विद्या भी संस्थागत पूंजीवादी टेक्नोलॉजी के बोझतले दबी हुई है । श्रम को पूंजी से आज़ाद करने के लिए और लोक विद्या को सही मकाम पर स्थापित करने हेतु एक नया वैचारिक संघर्ष शुरू करना होगा और उसी संघर्ष से वैकल्पिक व्यवस्था का खाका भी निकलेगा जो एक टिकाऊ और दूरगामी विचारों को स्थापित करेगा । 

इस  चर्चा के  बाद इन्ही मूलभूत बिन्दुओ पर विस्तार से चर्चा हुई और भविष्य की कार्यक्रमों पर बातचीत शुरू हुई । करीब दो घंटे की गहन चर्चा के बाद एक ठोस कार्य योजना तय की गयी जो निम्नलिखित है -

  • जन संघर्षों में एकता की पहल के शीर्षक पर एक मुहीम शुरू की जाएगी जो एक साल तक चलेगी । इस मुहीम का वैचारिक आधार धरती माँ की रक्षा, लोक विद्या का राजनैतिक और शैक्षिक क्षेत्रों में प्रतिष्ठित होना तथा जन-राजनैतिक प्रक्रिया को     मजबूत करना होगा । 
  • मुहीम को व्यापक स्तर पर ले जाने के लिए बैठक ,सम्मलेन ,गोष्ठी आदि आयोजित की जाएगी जिसमे आम कार्यकर्ता आसानी से भाग ले सकें । 
  •  सरल भाषा में लेखन सामग्री  तैयार करना होगा। 
  •  इस मुहीम की शुरुआत कैमूर क्षेत्र से होगी। कैमुर 5 राज्यों उ.प्र.,बिहार ,झारखण्ड,म.प्र. और छत्तीसगढ़ में फैला हुआ है ।  इन 5 राज्यों में वहां के क्षेत्रीय संगठनों को भी इस मुहीम में जोड़ना  होगा। यह तय हुआ कि इन पांचों राज्यों में आगामी एक वर्ष में जनसम्मेलन करना होगा। इस मुहिम की शुरूआत बिहार के कैमूर जिला के अधौरा प्रखंड़ से 18 व 19 अगस्त 2014, प्रबुद्ध सामाजिक चिंतक डा0 विनयन की पुण्यतिथि से होगी। 
  • इस मुहिम का संपर्क केन्द्र सिंगरौली म0प्र0 में होगा।
  • इस पूरे मुहिम को संचालन करने के लिए 14 सदस्यीय एक संचालन समिति का गठन किया गया जिसमें ज़मीनी स्तर के     कार्यकर्ता और समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हैं। 
अशोक चौधरी 
संघर्ष 2014 

बैठक के कुछ फोटो 




विचार विमर्श का एक दृश्य 



अंतिम सत्र में बोलते हुए सुनील सहस्रबुद्धे  (ऊपर) और अशोक चौधरी (नीचे)


विद्या आश्रम 

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