उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतों के चुनाव घोषित हो गए हैं। अक्टूबर में चार चरणों में चुनाव होंगे और 1 नवम्बर को नतीजे घोषित किये जायेंगे। लोकविद्या जन आंदोलन, वाराणसी की ओर से यह अभियान चलाया जा रहा है कि -
- ग्राम प्रधान अपने को सरकार का नुमाइंदा न समझकर गाँव का प्रतिनिधि समझें।
- इस बात के लिए संगठन और संघर्ष का मन बनाएं कि सरकारों का गाँव के साथ सौतेला व्यवहार बंद करना है और यह हासिल करना है कि हर ग्रामीण परिवार में सरकारी कर्मचारी जैसी आय का प्रावधान हो।
एक परचा निकाल कर इस बात की ओर ध्यान खींचा गया है कि गाँव के लोग, जो खेती, कारीगरी, मज़दूरी और सेवा या छोटी - मोटी दुकानदारी करके अपना जीवनयापन करते हैं और समाज की सेवा करते हैं, उस सबमें वे अपने ही ज्ञान और हुनर का इस्तेमाल करते हैं। उनका सोचने का तरीका अलग होता है तथा उनकी ज्ञान की दुनिया लोकविद्या के नाम से जानी जाती है। यह लोकविद्या किसी भी अर्थ में विश्वविद्यालयीय ज्ञान से कम नहीं होती तथा यह सर्वथा जायज़ है कि इसके बल पर भी वैसी ही आय होनी चाहिए जैसी आय पढ़े - लिखों को होती है।
मध्य प्रदेश में इंदौर क्षेत्र में लोकविद्या जन आंदोलन के तीन सक्रिय कार्यकर्ता ग्रामप्रधान चुनकर आये हैं। ये दो मांगें आगे कर रहे हैं -
- गाँव के ज्ञान यानि लोकविद्या की प्रतिष्ठा के लिए हर गाँव में एक स्थान ज्ञान पंचायत के लिए मुक़र्रर होना चाहिए। इस स्थान से गाँव वाले अपने ज्ञान का दावा पेश करेंगे।
- हर ग्रामीण परिवार में सरकारी कर्मचारी जैसी आय का प्रावधान होना चाहिए।
2 अक्टूबर को भोपाल में पूरे प्रदेश के ग्राम प्रधान अपनी मांगों को लेकर इकठ्ठा हो रहे हैं। ऊपर दी गयी दो मांगें भी शामिल करने का प्रयास लोकविद्या जन आंदोलन, मध्य प्रदेश, कर रहा है।
विद्या आश्रम
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