लोकविद्या समन्वय समूह, इंदौर ने लोकविद्या-ज्ञान-आंदोलन के तहत इंदौर ज़िले में सितंबर महीने में दिनांक 21 से 27 के बीच कई स्थानों पर ज्ञान-पंचायतें कीं । ये ज्ञान-पंचायतें किसानों, कारीगरों, आदिवासियों और पटरी- ठेले पर छोटे -छोटे धंधे करने वालों की बस्तियों-बाज़ारों में हुईं । इन ज्ञान पंचायतों में शामिल होने के लिये कर्नाटक से ज. क. सुरेश और सिवरामकृष्णन, तेलंगाना-हैदराबाद से कृष्णराजुलु, उत्तर प्रदेश से दिलीप कुमार 'दिली' और महाराष्ट्र से टाइनी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के डी. एम.शिंदे शामिल हुए। संजीव दाजी के प्रयासों से हुई इन विभिन्न स्थानों पर आयोजित ज्ञान-पंचायतों का आयोजन वहाँ के स्थानीय किसान, कारीगर, आदिवासी छोटे-छोटे दुकानदारों ने किया। इंदौर के प्रेस क्लब में भी पत्रकारों के साथ एक ज्ञान-पंचायत की गयी।
अखबार प्रभात किरण के 24 सितंबर अंक में प्रकाशित
कर्णाटक से लोकविद्या आंदोलन के प्रवक्ता ज. क. सुरेश से वार्ता
इन ज्ञान-पंचायतों में प्रमुखतः निम्नलिखित बिंदुओं पर ज्ञान-वार्ता हुई --
- ज्ञान-पंचायत क्या हैं और इनका स्वरुप व लक्ष्य क्या है।
- लोकविद्या को विश्वविद्यालय की विद्या के बराबर का मूल्य मिले।
- लोकविद्या बाजार की अवधारणा
- लोकविद्या-स्वराज का विचार
- मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के लोकविद्या-समाज में संवाद खोलने के प्रयास
- वाराणसी में 16 अक्टूबर 2016 को प्रस्तावित किसान-कारीगर महापंचायत में भागीदारी
दिनाकं 21 सितंबर को मिल इलाके में दो ज्ञान-पंचायतें हुई। एक शिवाजी नगर की कारीगर बस्ती में और दूसरी इसी इलाके में बुधवारिया हाट में छोटे दुकानदारों के बीच। पहली पंचायत में निर्मला देवरे , वंदना वाघमारे , गंगा बाई , कैलाश अमृते, भाऊ ने सक्रिय हिस्सा लेकर अपनी बात रखी तो दूसरी में असलम भाई , बघेल व अन्य दुकानदारों ने।
22 सितंबर को चंपाबाग और दौलत गंज के कारीगरों के बीच हुई ज्ञान-पंचायत में सिराजभाई जालीवाले, आपा, शेरसिंह आदि ने कारीगरों के पास के ज्ञान को सही मूल्य मिलने की आवाज़ को उठाने का आग्रह किया। इसी दिन इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकारों से एक वार्ता हुई जिसमें ज. क. सुरेश , बी. कृष्णराजुलु, दिलीप कुमार 'दिली', शिवराम कृष्णन और डी. एम. शिंदे ने पत्रकारों को इस ज्ञान-आंदोलन के बारे में विस्तार से जानकारी दी और उनके सवालों के जवाब दिये।
पत्रकारों से प्रेस क्लब इंदौर में ज्ञान-वार्ता
बायें से दिलीप कुमार 'दिली', बी. कृष्णराजुलु, ज. क. सुरेश और शिवराम कृष्णन
23 सितंबर को तीन जगह किसानों और आदिवासियों के बीच ज्ञान-पंचायतें हुई। पहली ग्राम पालड़ी (इंदौर के उत्तर-पश्चिम 30 किलोमीटर) में, दूसरी ग्राम कालीबिल्लोद (इंदौर के पश्चिम 35 किलोमीटर) में और तीसरी ग्राम खुर्दी (इंदौर के दक्षिण 70 किलोमीटर) में।
ग्राम पालड़ी में सरपंच सुमेर सिंह राठौर और कैलाश सूर्यवंशी ने और कालीबिल्लोद में सरपंच गणेश परमार और यादवजी ने गाँव समाज के सामने किसान के ज्ञान और उसके मूल्य की बात रखी। खुर्दी में आदिवासी-किसान हैं। यहाँ ज्ञान-पंचायत में ग्राम भिलामी, भकलाय, गोंड़कुआं और खुर्दी के लोग शामिल हुए। सीताराम कटारे , अमरसिंह निनामा, जगदीश भूरिया, जगदीश बाबा, रमेश भाबर, गुलाबसिंह कटारे, फूलचंद और घनश्याम भाबर ने बातों को समाज के बीच स्पष्टता के साथ रखा।
24 सितंबर को सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि प्रकाश महावर, डॉ. तपन भट्टाचार्य, कालीबिल्लोद के सरपंच गणेश परमार और यादवजी के साथ इंदौर शहर के दलित-कारीगर बस्ती में ज्ञान-पंचायत हुई। 25 सितंबर को चन्दन नगर के सिराज भाई जालीवाले और बाबु भाई की पहल पर मुसलमान बहुल कारीगरों के बीच और राजेश धौलपुरे, सचिन पथरोड़, विशाल डागर व अन्य की पहल पर राजमोहल्ला वाल्मिकी नगर में ज्ञान पंचायतें हुई। तीनों ही पंचायतों में ज्ञान के सवाल को प्रमुख बनाते हुए सामाजिक-आर्थिक गैर-बराबरी का हल खोजने का आग्रह सामने आया।
इन सभी ज्ञान -पंचायतों में 16 अक्टूबर 2016 की वाराणसी में हो रही किसान-कारीगर महापंचायत में भागीदारी का फैसला लिया गया और साथ ही यह भी कि इसी नवम्बर मेंऔरंगाबाद में ज्ञान-पंचायत में भागीदार होंगे और दिसंबर में इंदौर में एक महापंचायत करेंगे।
विद्या आश्रम
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