2014 लोकसभा चुनाव : नई चुनौतियां, नए मौके
7 - 8 जून 2014 को वाराणसी में जन संघर्षों की एक बैठक का आयोजन है, जिसमें प्रमुखरूप से अभी संपन्न हुए चुनाव से जन संघर्षों को क्या सीख लेनी चाहिए इस पर चर्चा की जाएगी। विमर्श के लिए निम्नलिखित तीन बिंदु प्रस्तावित हैं -
- नई सरकार की संभावी नीतियां और किसानों, कारीगरों, आदिवासियों, दलितों, मज़दूरों, महिलाओं और छोटे दुकानदारों पर आने वाले नए दबाव। इन समुदायों के संघर्षों के सामने चुनौतियाँ।
- जन आंदोलन के काफी साथी चुनाव में खड़े थे। नतीजों को देखते हुए क्या यह कहा जा सकता है कि संसदीय लोकतंत्र जन आकांक्षाओं और जनहित के समाधान का स्थान हो ही नहीं सकता?
- जन संघर्षों के सामने आपसी एकता का बड़ा सवाल हमेशा से ही रहा है। वैश्वीकरण और ज्ञान आधारित समाज बनाने के इस युग में शोषित समाजों के बीच एकता के नए वैचारिक आधार सामने आये हैं। उदाहरण के लिए ' लोकविद्या ' और 'धरती माँ ' का विचार। इन विचारों तथा किन्हीं अन्य प्रस्तावित सैद्धांतिक प्रस्थापनाओं पर मंथन।
2014 के इस लोकसभा चुनाव में मोदी और केजरीवाल वाराणसी में टकरा गये। नतीजे स्वरुप बहुत बड़ी तादाद में बाहर से लोग इस दौर में वाराणसी आये। अधिकांश इस या उस पार्टी के समर्थन में आये, किन्तु कुछ ऐसे समूह ज़रूर आये जो किसी के समर्थन में नही बल्कि जनता से बात करने, उनकी सुनने और अपनी कहने के लिये आये। बाहर के लोगों के आने के पहले से वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता जन आन्दोलनों की स्वतंत्र दृष्टि सामने लाने के लिये कार्यरत थे। वाराणसी के लगभग 25 समूहों द्वारा एक संयुक्त पर्चा ' 2014 के आम चुनाव के मौके पर : वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ताओं का देश से निवेदन ' इस शीर्षक के साथ निक़ाला गया था. इन लोगों ने बाहर से आये कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर एक व्यापक आपसी विमर्श बनाया। 6 मई से 10 मई के बीच कई बैठकें की गईं। वाराणसी के कार्यकर्ता और बाहर से आये समूहों के कार्यकर्ता चुनावों के सन्दर्भ में दिन भर गावों और बस्तियों व अन्य स्थानों पर अपना काम करने के बाद शाम को 8 बजे गंगा जी के किनारे किसी एक घाट पर एकत्र हो कर आपस में चर्चा करते थे, एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और आपस में सहयोग के रास्ते खोजते थे। इन बैठकों में सामान्यतः 60 - 65 कार्यकर्ता शामिल होते थे। लोकविद्या जन आंदोलन और संघर्ष 2014 की पहल पर आयोजित बैठकों में कई स्थानों से आये संगठनों की भागीदारी रही।
बैठकों में सामान्य मत यह रहा कि चुनावों के बाद की परिस्थितियां और ख़राब ही होने वाली हैं। किसानों , कारीगरों , आदिवासियोँ, छोटे-छोटे दुकानदारों , मज़दूरों और सामान्य महिलाओं की ज़िंदगी की कठिनाइयाँ बढ़ने ही वाली हैँ , उनके संघर्ष भी बढ़ने वाले हैं। ऎसी स्थिति में यहाँ एकत्रित कार्यकर्ताओँ को अपने आगे के कामों के बारे में भी आपस में बात करना चाहिए।
10 मई को विद्या आश्रम, सारनाथ में बैठ कर आगे के बारे में बात की गयी । एक बार फिर लोगों ने वर्तमान परिस्थिति और संघर्षो के शक्ति संग्रह पर अपने विचार रखे तथा चुनावों के बाद बनारस में एक ऐसी बैठक करने की बात की जिसमें इस क्षेत्र के संघर्षशील समूह भाग लें। यह तय किया गया कि किसानों, आदिवासियोँ, कारीगरोँ , दलितों, मज़दूरों, महिलाओं और छोटे दुकानदारों के संघर्षों में आपसी सहयोग तथा इन समाजों के बीच एकता के वैचारिक आधार यह इस समागम का विषय हों।
इस पर सहमति बनी कि यह समागम विद्या आश्रम, सारनाथ में 7 - 8 जून 2014 को हो। 20 मई को विद्या आश्रम पर इसकी एक तैयारी बैठक रखी गयी।
20 मई की बैठक में प्रमुखरूप से लोकविद्या जन आंदोलन और संघर्ष 2014 के लोग शामिल हुए। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव पर सभी ने अपनी समझ सामने रखी और 7 - 8 जून 2014 की इस बैठक के विचार को अंतिम रूप दिया।
बैठक का स्थान : विद्या आश्रम , सा 10 /82 ए , अशोक मार्ग , सारनाथ , वाराणसी
दिन व समय : 7 जून की सुबह 10 बजे से 8 जून को शाम 4 बजे तक
आप इस बैठक में अवश्य आएं। रहने-खाने की व्यवस्थाएं आयोजकों द्वारा की जाएँगी।
लोकविद्या जन आंदोलन संघर्ष 2014
9839275124 9999688234
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