वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ताओं की मुहिम में विभिन्न संगठनों द्वारा पर्चा ( ब्लॉग पोस्ट 18 अप्रैल ) बाँटा जा रहा है। इंटरनेट के मार्फ़त अनेक व्यक्तियों, संगठनों और संस्थाओं तक इसे पहुँचाया गया है।
कल २८ अप्रैल को एक प्रेस वार्ता की गयी। पराड़कर स्मृति भवन में काशी पत्रकार संघ की दीर्घा में वाराणसी के लगभग सभी अखबारों के प्रतिनिधियों से मुहिम की ओर से अमरनाथ भाई , सुनील सहस्रबुद्धे , वल्लभाचार्य पाण्डे, दीपक मलिक, दिलीप कुमार ' दिली ', डा. मुनीज़ा खान, लक्ष्मण प्रसाद , जागृति राही, चंचल मुखर्जी और दीनदयाल ने वार्ता की। यहाँ से प्रकाशित पर्चे पर आधारित एक संक्षिप्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी। आज सुबह के 3-4 प्रमुख अख़बारों ने खबर को स्थान दिया। इस मुहिम से तीन बिन्दु प्रमुख रूप से उभर कर आ रहे हैं --
कल २८ अप्रैल को एक प्रेस वार्ता की गयी। पराड़कर स्मृति भवन में काशी पत्रकार संघ की दीर्घा में वाराणसी के लगभग सभी अखबारों के प्रतिनिधियों से मुहिम की ओर से अमरनाथ भाई , सुनील सहस्रबुद्धे , वल्लभाचार्य पाण्डे, दीपक मलिक, दिलीप कुमार ' दिली ', डा. मुनीज़ा खान, लक्ष्मण प्रसाद , जागृति राही, चंचल मुखर्जी और दीनदयाल ने वार्ता की। यहाँ से प्रकाशित पर्चे पर आधारित एक संक्षिप्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी। आज सुबह के 3-4 प्रमुख अख़बारों ने खबर को स्थान दिया। इस मुहिम से तीन बिन्दु प्रमुख रूप से उभर कर आ रहे हैं --
- असंगठित क्षेत्र या दूसरे शब्दोँ में लोकविद्या समाज के हर परिवार में सरकारी नौकरी जैसी कम से कम एक तनख़्वाह आनी चाहिये और वे अपना काम ढंग से कर सकें इसके लिये राष्ट्रीय संसाधनों जैसे बिजली, पानी, शिक्षा, वित्त, स्वास्थ्य आदि में उनकी बराबर की हिस्सेदारी होनी चाहिए। ऐसा करना सरकार का कर्तव्य व जिम्मेदारी है।
- हर गाँव और हर बस्ती में मीडिया स्कूल खुलने चाहिए, जहाँ बदलती दुनिया के अनुरूप गरीब घरों के नौजवान अभिव्यक्ति, प्रतिनिधित्व, संचार व सम्पर्क की क्षमताओं को हासिल करेंगे। यह सीखेंगे की उनकी, घरों, गाँवोँ और बस्तियों की बात क्या है, उसे कैसे और कहाँ कहना है आदि।
- ग्राम सभा और मोहल्ला सभा की बात अपने मुकाम तक जानी चाहिये। जल-जंगल-जमीन पर स्थानीय नियंत्रण की मांग का भी विस्तार होना चाहिए। पंचायत, प्रशासन, बाजार, प्राक़ृतिक संसाधान तथा आपसी झगडों का निपटारा इस सब पर स्थानीय समाजों का नियंत्रण होना चाहिए। स्थानीय लोग केवल यह नही बतायेँगे कि उनका क्या है और उन्हेँ क्या चाहिए बल्कि वे सामूहिक तौर पर यह बताएँगे कि यह देश कैसा होना चाहिए - स्वराज का अर्थ क्या है ?
इसी सिलसिले में 30 अप्रैल को विद्या आश्रम पर किसान आंदोलन के कार्यकर्ताओं की एक बैठक दोपहर 2 बजे बुलाई गयी है। वाराणसी से शुरु इस मुहिम के कार्यकर्ता तथा वाराणसी और आस-पास के किसान यूनियन तथा अन्य किसान संघर्षो के साथी, सभी शामिल होंगे। हरियाणा किसान यूनियन के अध्यक्ष और उनके साथी तथा कर्नाटक रैयत संघ के साथी भी शामिल होंगे। वाराणसी में इस वक्त आये हुए और साथी भी शामिल होंगे। इस बैठक में चर्चा का विषय है - ' किसानों की दृष्टि में स्वराज का अर्थ '
वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा शुरु की गयी इस बहस में भाग लेने के लिये सभी आमंत्रित हैँ। हमारा ऐसा मत है कि जिन बिन्दुओं पर यह बहस शुरु हुई है वे समय के अनुरूप हैं और आने वाले दिनों में जन-आन्दोलनों को पुख्ता आधार देने में सहयक साबित होंगे।
चित्रा सहस्रबुद्धे
विद्या आश्रम